भीषण गर्मी पड़ रही थी न बिजली न पानी , लोग सडकों पर जाम लगा रहे
थे क्योंकि वे और तो कुछ कर भी नही सकते थे | बार -बार बिजली जाने के बाद जब
आती तो लोगों को खुशियाँ मनाने का मौका मिलता कि वाह भाई वाह बिजली आ गई
वह आये चाहे कुछ ही मिनट के लिए |पर कुछ ही समय बाद फिर से गुल हो जाती |
परन्तु बिजली जाने पर भी लोगों के फ्रिज व टेलीविजन तो खुले यानि ऑन ही
रहते हैं क्योंकि आखिर दिन में कितनी बार बटन बंद करें व खोले इस से तो
अच्छा है खुले ही छोड़ दें इसी लिए ही मेरा भी टेलीविजन खुला हुआ ही था |
बहुत देर से देश के हाल चल जानने का मन था कि कोई नया घोटाला हुआ है या
नही |इसी चक्कर में टी वी के सामने ही मजबूरी में बैठा था | तभी मुझे भी
ख़ुशी मनाने का अवसर मिला यानि बिजली महारानी जी आ गई परन्तु जब बिजली आई
तो उस समय टेलीविजन पर मौसम का हाल बताया जा रहा था कि आगे आने वाले
चौबीस घंटों में गरज के साथ छींटे पड़ने की सम्भावना है | मैं बहुत
प्रसन्न हुआ कि चलो चौबीस घंटे तो जैसे तैसे कट ही जायेंगे पर इस के बाद
तो गरज के साथ छींटे पड़ ही जायेंगे | मुझे प्रसन्न होते देख कर मेरी पत्नी
जी को कुछ होने लगा स्वाभाविक है कि उन के मन में अच्छे २ ख्याल तो हो ही
नही सकते थे इसी डर से कांपते हुए मैंने उन्हें अगले चौबीस घंटे में गरज
के साथ छींटे पड़ने की सम्भावना के बारे में बताया |
जब उन को इस बात की पक्की तसल्ली हो गई कि मेरी प्रसन्नता का
वास्तव में यही कारण है तब जा कर मेरी जान में जान आई नही तो वे चौबीस
घंटे क्या अगले चौबीस सैकेंड में ही मेरे उपर घोर गर्जन के साथ मूसलाधार
वरिश में बरस पड़तीं परन्तु छींटे पड़ने की सम्भावना से उन के भीतर भी
उबल रहे ज्वाला मुखी पर भी कुछ छींटे पड़ ही गये परन्तु यह भी मेरी
सम्भावना ही थी जैसे मौसम विभाग सम्भावना व्यक्त करता है कि उस की कोई
गारंटी नही है कि वरिश होगी ही यह तो केवल सम्भावना ही है ऐसे ही मेरी श्री
मती जी के क्रोध के बारे में भी सम्भावना ही रहती है कि यह गारंटी नही है
कि उन्हें अब क्रोध नही आएगा | यह केवल मौसम विभाग जैसी सम्भावना है पक्की
गारंटी नही है यानि सम्भावना तो सम्भावना ही है और सम्भावना निश्चित नही
होती , वह हो भी सकती है और नही भी हो सकती है |
वैसे भी मौसम विभाग हमारे बाप का
नौकर तो है नही जो ठीक २ बताये कि बारिश होगी ही या गर्मी यूं ही झुलसती
रहेगी | वह तो केवल सम्भावना ही व्यक्त करता है क्यों कि हमारे देश में
यह जुगाड़ के बाद जो दूसरे नम्बर की चीज है जिस पर देश चलता है वह यही
सम्भावना ही तो है | देश ही क्या देश की राजनीति , समाज ,व्यक्ति , घर
गृहस्थी सभीकुछ तो इस सम्भावना पर ही चलती रहती है | ये सम्भावनाये न हों
तो दुनिया का सुचारू रूप से चलना भी मुश्किल हो जाये और दुनिया में आदमी
का जीना भी दूभर हो जाये |हम बचपन से ही सम्भावनाओं में जीना सीखते हैं या
सीख जाते हैं और मरते दम तक हमारी सम्भावनाये समाप्त नही होती हैं | कुछ न
कुछ सम्भावनाएं बनी रहती हैं | यह बात अलग है कि ये सम्भावनाएं पूरी कहाँ
होती हैं पर हम सम्भावनाएं करते रहते हैं हमे सम्भावना रहती है कि हमारी
शादी किसी ऐसी लडकी से होगी कि जिसके आगे एश्वर्य राय या कटरीना आदि तो
कुछ भी न लगें और इसी सम्भावना में लडके बहुत सारी लडकियो के विवरण इक्कठे
कर के २ छांटते रहते हैं परन्तु होता क्या है आखिर में जो मिल गई वह ही
ठीक है और फिर सम्भावना बनी रहती है कि यह यह अपने इस सुमुखी रूप को ही
बनाये रखे कहीं देवी के काली रूप में प्रकट न हो जाये इसी सम्भावना में हम
उस की कई तरह की मांगें पूरी करते रहते हैं |
कभी उस को गहने यानि आभूषण दिलवाते हॆं
कभी सुन्दर २ साडियां व सलवार कमीज खरीद कर देते हॆं ।बेशक खुद फटी पॆंट
से ही काम चलाते हॆं ऒर कभी २ दोस्तों से पॆसे उधार ले कर उस को बाहर खाना
खिलवाने ऒर पिकचर दिखाने ले जाते हॆं ।क्यों कि यह भी सम्भावना रहती हॆ कि
कहीं यह जो "मैं मायके चली जाउंगी "वाला गाना गुनगुना रही होती है उसे कहीं
साकार न कर दे यानि सच में मायके न चली जाये | इस के अलावा और भी बहुत सी
सम्भावनाएं हम करते रहते हैं |
इसी तरह लडकियाँ भी बहुत सी सम्भावनाएं
करती रहती हैं कि उन का होने वाला वो बहुत ही अच्छा होगा देखने में एक दम
हीरो , बहुत पैसे वाला और साथ में बहुत ही सुशील और सभ्य यानि सर्व गुण
सम्पन्न तथा उस की ऊँगली के इशारे पर नाचने वाला परन्तु हैं तो ये
सम्भावनाएं ही और इस के बदले मिल जाता है मेरा जैसा नही आप जैसा | बुरा मत
मानना मैंने यह बात इस लिए कही है कि मेरी पत्नी मुझे अपनी सम्भावनाओं के
अनुसार उन पर खरा नही मानती हैं |वह मुझे पागल , बेवकूफ ,आलसी और न जाने
क्या २ विशेषण समय २ पर देती रहती है | यदि आप के साथ भी ऐसा ही है तो फिर
मैं और आप दोनों ही एक जैसे हैं परन्तु आप मेरे जैसे लेखक तो नही होंगे आप
तो पैसे कमाने वाले बढिया पति ही होंगे |
इसी तरह सम्भावनाएं जिन्दगी में सब के साथ
होती हैं पर वे सम्भावनाये ही तो होती हैं इसी लिए मौसम विभाग की
सम्भावनाओं की तरह ही जरूरी नही कि वे पूरी हो जाएँ हम इस सम्भावना से
वोट डालते हैं कि ये नेता हमारे काम आयेंगे या इस से जो सरकार बनेगी वह देश
और समाज की उन्नति करेगी , घोटाले नही करेगी ,लोकपाल बिल बनवाएगी ,
भ्रष्टाचार खत्म कर देगी परन्तु ये सब हमारी सम्भावनाएं ही तो होती हैं और
आप को पता ही है कि सम्भावनाएं पूरी नही होती क्योंकि वरिश मौसम विभाग की
सम्भावना के बाद आती ही नही है | इसी लिए सरकार भी हमारी स्म्भाब्नाये पूरी
क्यों करे वह वरिश के बजाय कड़ी धूप निकल देती है यानि खूब महंगाई बढ़ा
देती है भ्रष्टाचार बढ़वाती है घोटालों में बढ़ोतरी की तो पूछो ही मत और फिर
उन घोटालों की फाइलों को नष्ट करवाने के लिए आग भी लगवा देती है और न ही
लोकपाल बिल ही बनवाती है क्यों कि ये सब भी तो हमारी सम्भावनाएं ही तो थीं |
फिर पूरी कैसे होती |
इसी तरह और भी बहुत सी सम्भावनाएं हम जीवन
भर करते रहते हैं परन्तु लगता है मौसम विभाग वालों ने सम्भावनाओं की इतनी
ऐसी तैसी कर दी है कि वे पूरी होती ही नही | हम, इस सम्भावना से बच्चों का
पालन पोषण करते हैं कि वे बड़े हो कर हमारी सेवा करेंगे तथा आज्ञाकारी
बनेंगे श्रवण कुमार की तरह माता पिता के भक्त परन्तु हम ये सब सम्भावनाएं
ही तो करते हैं शायद इसी लिए बच्चे इन्हें हमारी सम्भावनाएं मान कर पूरी न
करते हों | हो सकता है यदि हम सम्भावना न करें तो वे ठीक से सेवा आदि भी
कर दें परन्तु न तो हम सम्भावनाएं करनी छोड़ते हैं और न ही वे पूरी होती हैं
|
इसी प्रकार हम भगवान जी के मन्दिर में
प्रसाद चढाने जाते हैं और प्रसाद चढाने के बाद हमे सम्भावना रहती है कि
भगवान जी हमारी मांगे तुरंत पूरी कर देंगे | हमारी लाटरी निकलवा देंगे , आई
पी एल में लगाया पैसा भगवान जी चार गुणा करवा देंगे , हमे घोटालों से बरी
करवा देंगे , हमे देश का मंत्री या प्रधान मंत्री बनवा देंगे यानि हमारी हर
कामना पूरी कर देंगे हम ऐसी बहुत सी सम्भावना करते रहते है परन्तु ये
पूरी होती कहाँ हैं परन्तु प्रसाद तो हम इन के पूरी होने की सम्भावना में
चढ़ा ही चुके होते हैं पर हमारी मंगों को पूरी होने की सम्भावना अधूरी ही
रह जाती है |
इसी तरह लडके लडकियाँ फेस बुक पर इस लिए
लगे रहते हैं कि कोई बढिया सा दोस्त मिल जाये भाई बहन आदि नही अपितु फ्रेंड
मिल जाये क्यों कि फ्रेंड फ्रेंड ही होता है जो उम्हे कभी भी धोखा दे
सकता है पर वायदा उन की हर इच्छा पूरी करने की करता है | इसी सम्भावना में
वे घंटों फेस बुक पर अपना कीमती समय बर्बाद करते रहते हैं जो समय पढने या
दूसरे जरूरी कामों का होता है उसे ही वे फ्रेंड मिल जाने की सम्भावना में
ही बर्बाद कर देते हैं फिर माँ बाप कहते हैं कि हमारा बच्चा तो कम्पुटर की
वजह से खराब हो गया वह तो बड़ा होनहार था | उस के बाद तथा कथित समाज
शाश्त्री भी टी वी पर आ कर कम्पुटर को कोसना शुरू कर देते हैं पर उन्हें
कौन समझाये कि तुम्हारे इन होनहारों की वजह से ही फेसबुक खराब हुई है न कि
फेस बोक की वजह से ये निक्कमी औलाद |
लडके लडकियों की तो कोई बात नही उन की तो
उम्र ही है वे तो यौवन की दहलीज पर होते हैं परन्तु हद तो इस सम्भावना की
तब होती है जब खूंसट बूढ़े २ भी अपनी जवानी कि फोटो लगा कर और अपनी कम उम्र
बता कर लडकियों से दोस्ती की सम्भावना में चैट यानि बतियाते रहते हैं जब
कि उन्हें इस उम्र में तो भगवान जी का नाम ले लेना चाहिए परन्तु वे भगवान
जी का नाम क्यों लें क्यों कि वे तो अंग्रेज बनने के चक्कर में होते हैं जब
कि अंग्रेज इस ऐबों को छोड़ कर तिलक जनेऊ व चोटी धारण कर के भगवान के प्रति
समर्पित भाव से कीर्तन करते नजर आते हैं परन्तु यहाँ के बुड्ढे तो रोज २
बिगड़ने का कम्पीटीशन करते नजर आते हैं आपस में बैठ कर भी दोस्तों से अपनी
जवानी की बाते ही दोहराते रहते हैं क्यों कि अब भी उन्हें इन के दोहराए
जाने की सम्भावना रहती है |
इसी प्रकार बुढियाभी बैठी २ बहुओं को खूब
परेशान करती रहती हैं वे उन से ऐसी २ बातें करतीं हैं कि जिन का कोई सिर
पैर नही होता वे ऐसी बातें इस सम्भावना से करती हैं कि इस के कारण बहुएं और
दहेज ले आएँगी परन्तु बहू अपने मायके खबर भेज देती है कि अब दहेज भेजने की
कोई जरूरत नही है क्यों कि बुढिया के मरने की सम्भावना है परन्तु होता
उल्टा है और सास के उपर पहुंचने की सम्भावना करते २ खुद सास बहू को उपर
पहुंचा देती है | पर सास के उपर जाने की सम्भावना पूरी नही होती है | इसी
तरह आदमी अपनी जिन्दगी की खूब गाढ़ी कमाई जिसे पाई २ जोड़ कर इक्ठटा करता है
पाई २ के लिए वह लोगों से झगड़ता रहता है और उस पैसे से बड़ी २ हवेलियाँ
यानि बड़ी सी बिल्डिंग बनवाता है क्यों कि उसे सम्भावना होती है कि वह इसी
मकान में सदा रहेगा या उस की औलाद इस में से कहीं बाहर पैर भी नही रखेगी और
उस की सेवा करेगी परन्तु उस की यह सम्भावना धरी की धरी रह जाती है बच्चे न
तो ठीक से उस की सेवा करते हैं और न ही उस के बनाये मकान में ही रहते हैं
वे जहाँ नौकरी करते हैं वहीं अपनी पत्नी और बच्चों को ले कर किराये के
मकान में रहने चले जाते हैं किराये के मकान में चाहे कितनी ही परेशानियाँ
उठानी पड़े उठाते रहते हैं फिर वहीं पर वे भी घर खरीदने की सोच लेते हैं
इस के लिए बेशक उन्हें अपने बाप का बनाया हुआ मकान ही क्यों न बिकवाना पड़े
चलो उन की तो मजबूरी होती है परन्तु बूढ़े की सम्भावना तो धरी की धरी रह
जाती है जब मरने के बाद बच्चे समय पर उस के संस्कार के लिए भी नही पहुंच
पाते हैं और पड़ोसी ही संस्कार कर के उसे निपटा देते हैं क्यों कि उन का भी
काम में हर्जा हो रहा होता है |
जिन्दगी में हम ऐसी २ कितनी ही सम्भावनाएं
करते हैं और सोचते रहते हैं कि ये पूरी होंगी परन्तु अधिकतर सम्भावनाएं
मौसम विभाग द्वारा व्यक्त की गई वरिश आने की सम्भावनाओं की तरह ही अधूरी रह
जाती हैं परन्तु फिर भी हम एक के बाद एक नई २ सम्भावनाएं करते रहते हैं और
उन के पूरे होने की सोचते रहते हैं इसी में कुछ समय बाद पता चलता है कि
जिन्दगी लगभग पूरी होने वाली है परन्तु फिर भी सम्भावनाएं करना हम बंद नही
करते हैं परन्तु एक दिन यूं ही हमारे मरने की सम्भावना जरूर पूरी हो जाती
है ||
व्यंगकार :- श्री डॉ. वेद व्यथित जी
अनुकम्पा - १५७७ सेक्टर ३
फरीदाबाद १२१००४
e-mail - dr,vedvyathit@gmail.com
चित्र गूगल से साभार
नोट :- चित्र आदि गूगल इमेजेस आदि साइट्स से लिए गए हैं! यदि किसी कॉपीराइट का उल्लंघन हो रहा होतो कृपया सूचित करें - चित्र हटा लिए जायेंगे!
बहुत अच्छी प्रस्तुती.मै आपके विचारों से सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
bndhuvr hardik aabar
हटाएंबहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंhardik aabhar bndhuvr
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआभार
अनु
bhut 2 hardik aabhar swikar kren
हटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति....!!
जवाब देंहटाएंbhut 2 aabhar bndhu
हटाएंआप बहुत अच्छे लेखक है
जवाब देंहटाएंहम आप जैसे नहीं हैं
पैसे की बात है जहां तक
आप के पास नहीं है
हमारे पास भी नहीं हैं
आप भी पति है
बताया है आपने
हम भी पति हैं
आपको भी बता रहे हैं
आप बहुत आगे
निकल गये हैं लेकिन
हम तो अभी बहुत पीछे
आप से हो जा रहे हैं
फिर भी बताने में
हम भी नहीं शरमा रहे हैं ।
bndhu vr prsnnta hai aap bhi mere jaise hi hai
हटाएंkripya bhut 2 hardik aabhar swikar kren
-----संभावनाएं ही जीवन है....तभी तो जीने की राह पर चलने की संभावना होती है अन्यथा कोइ क्यों कर्म करे...क्यों जिए ....
जवाब देंहटाएं--- परन्तु मरने की संभावना नहीं अपितु...निश्चित तथ्य है| अतः सुन्दर सुखद सम्भावनाओं की कल्पनाओं में प्रति पल जी लेना चाहिए ...
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सटीकव्यंग किया!
जवाब देंहटाएंbhut 2 aabhar bndhuvr
हटाएंaap ka apar sneh amooly hai kripya aabhar swikar kren
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