आज हमारी युवा पीढी , जो भौतिकवादी पाश्चात्य विदेशी नैतिकता से प्रभावित है एवं हर काम समय पर ही होता है तथा जल्द काम शैतान का ..जैसी कहावतों अदि से इत्तेफाक नहीं रखती और भौतिक सुख-विलास व ऐश्वर्यमय जीवन को ही प्रगति व जीवन-उत्कर्ष समझती है अति भौतिकता की दौड़ में , अधिकाधिक कमाने व शीघ्रातिशीघ्र अमीर बनने की ललक में दिन-रात काम में जुटे रहते हैं | सुबह -सुबह जल्दी-जल्दी निकलजाना रात को देर से घर लौटना, घर पर भी मोबाइल पर दफ्तर-कार्य की बातें... न खाने का समय न नाश्ते का न संतान के साथ समय बिताने की फुर्सत | यदि पशु -पक्षी के तरह सुबह सुबह निकल जाना और देर शाम को अपने -अपने कोटरों में लौट आना ही जीवन है तो सारे ऐश्वर्य का क्या ?
माता पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म होता है.
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*अगर हर लड़की अपने सास को अपनी माँ समझें और हर सास अपनी बहू को बेटी समझे तो
परिवार मैं कभी कोई लड़ाई झगड़े नही होंगे और हमें अपने माता पिता का आदर हमेशा
करन...
4 हफ़्ते पहले
bilkul sahi sir ji,aaj ki yuva pidhi ki jindgi kolhu ke bail jaise ho gyee hai
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