"स्व० श्रीमति सुगना राजपुरोहित" |
स्व० "श्रीमती सुगना कंवर राजपुरोहितजी" के जीवन पर एक नज़र
"जीवन का लक्ष्य था समाज की सेवा"
"स्व० श्रीमति सुगना राजपुरोहित" एक नज़र मे तो एक सामान्य नारी की भाँति नज़र आती है ! लेकिन यह सोच इनकी जीवन शैली पढ़कर बदल जाएगी इन्होने अपने जीवन में तूफ़ानी झंझावतों
को झेलकर, आँधियों को मोड़ कर, अंधकार को चीरकार, परेशानियो को मसलकर एक नई राह बनाई और परिवार के साथ-साथ समाज सेवा में भी नाम रोशन किया!
को झेलकर, आँधियों को मोड़ कर, अंधकार को चीरकार, परेशानियो को मसलकर एक नई राह बनाई और परिवार के साथ-साथ समाज सेवा में भी नाम रोशन किया!
इनका जन्म जोधपुर के एक छोटे से गाँव "कनोडीया" में सन् "जुलाई 1960 ई० मे (वि० स० 2017) लगभग में हुआ था! इनके पिता का नाम "स्व० श्री कौशल सिहं सेवड़" एक ज़मींदार किसान थे ! इनकी माता का नाम "स्व० श्रीमति मैंना देवी था ! माता पिता दोनो से सुगना कंवर उर्फ रत्न कंवर काफ़ी प्रभावित थी!
इनको अपना आदर्श मानती थी ! छ: भाई बहनो मे सुगना कंवर उर्फ रत्न कंवर सबसे छोटी थी इसलिए सबसे लाडली थी तथा इनके बड़े भाई "श्री भंवर सिह" (पूर्व एम० टी० ओफिसर आर० ए० सी० पुलिस राजस्थान) इनको प्यार से बाया बाई-सा" कहते थे ! इनके समय मे गाँव मे लड़कियों को नहीं पढ़ाया जाता था!
इनकी शिक्षा बड़े भाई के द्वारा घर पर हुई थी, इनके पिता "स्व० श्री ठा० कौशल सिंह" ने अपनी पुत्री को सदैव सत् संस्कार तथा समाज़ सेवा की सीख दी, साथ ही प्रभु कृपा से इनमे मानवीय गुण कूट-कूट कर भरे थे!
इनको बचपने से ही धार्मिक विचारो एंव समाज सेवा मे रूचि थी इनके पिता का समाज मे काफ़ी नाम था, इसलिए लोग आज भी उन्हे याद करते हैं , इसलिए इनकी रूचि समाज़ सेवा के प्रति और आकर्षित हुई!
इनकी शादी मात्र "16 वर्ष की अल्प आयु" मे श्री बिरम सिंह पुत्र श्रीमान ठा० सुजान सिंह सिया" गाँव "मेघालासिया" जिला "जोधपुर" मे हुआ था ! इनकी माता जी सदैव कहती थी ! हमारी "रत्न" बहुत छोटी है ! लेकिन इन्होने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत जल्दी ही संभाल ली थी ! इनके देवर बहुत छोटे थे ! जिनकी देखभाल (परवरिश) भी इनको ही करनी पड़ती थी क्योंकि इनकी सासू माँ का स्वर्गवास इनकी शादी से कुछ वर्ष पूर्व हुआ था इसलिए अपने तीन देवरो व एक ननद की ज़िम्मेदारी भी इनके कंधो पर थी उन्हे अपने पैरो पर खड़ा किया और इसके लिए इनको काफ़ी संघर्ष का सामना करना पड़ा था ! इनके तीन पुत्र एंव दो पुत्री थी ! जिनकी परवरिश बखूबी पूर्ण की इन्होने कभी हिम्मत नही हारी (जीवन के हर सफ़र में)!
इनकी समाज सेवा मे बचपन से ही नाता रहा है ! इसलिए शादी के बाद भी परिवार की ज़िम्मेदारियों के साथ- साथ समाज़ सेवा में बहुत योगदान दिया था ! इनके सहयोग से आयोजित "प्राक्रतिक चिकित्सा शिविर" कई स्थानो पर सफलता पूर्ण किए गये तथा जिससे प्राक्रतिक चिकित्सा के प्रति लोगो की रूचि बढ़ी तथा इस चिकित्सा पद्धति के लोगो को जागरूक किया तथा ये शिविर आज भी लगाए जाते है यह सब इनके प्रयास से ही संभव हुआ था !
इनके परिवार की गिनती आज "समाज सेवा" परिवरो में होती है ! इन्होने जीवन के अंतिम समय में भी एकता की मिसाल दी थी! इसका ही उदाहरण है कि परिवार से जिन सदस्यो ने आपस मे दूरी बना ली थी! वे फिर से संगठित हो गये परंतु विधि के विधान के अनुसार 48 वर्ष की अवस्था में 1 सितंबर 2008 दिन सोमवार(हिन्दी माह वि० स० 2065 भादवा सुदी द्वितीया में) हमें छोड़कर स्वर्गवासी हो गई!
स्व० श्रीमती सुगना कंवर" कहती थी -
"जो जीवन दूसरों के काम आए तो उसे ही जीवन कहते हैं जो दूसरो के दुख मे दुखी और सुख मे सुखी होता है उसे इंसानियत कहते है!"
किसी ने ठीक कहा है!
यू तो दुनिया में सदा रहने कोई नहीं आता है!
आप जैसे गई इस तरह कोई नहीं जाता है!
इस उपवन् का दायित्व सौंपकर इतनी
जल्दी संसार से कोई नही जाता है!
आभार
हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट
आज की पोस्ट प्रिय मित्र ओर भाई सवाईजी की पूज्य माता स्व० श्रीमती सुगना कंवरजी की पावन स्मृति में उन्हीं को श्रद्धांजली स्वरूप समर्पित करता हूँ!
आप श्रद्धांजली इस ब्लॉग पर भी दे सकते हो
अधिक जाननें और पढ़नें के लिए
दुनिया के मालिक अगर जुदा करना था तो अच्छा होता था इनसे मिलाया न होता!
माताजी को विनम्र श्रधांजलि !
जवाब देंहटाएंhttp://diheshmathur.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंहमने भी अनुसरण कर लिया!!
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजली ..
जवाब देंहटाएंमाताजी को विनम्र श्रधांजलि !
जवाब देंहटाएंश्रृद्धांजलि व् नमन .'भारतीय नारी' ब्लॉग पर भी इस पोस्ट को प्रकाशित करें .ऐसी भारतीय नारियों के जीवन चरित से सभी को परिचित होना चाहिए .आभार
जवाब देंहटाएंमाताजी को विनम्र श्रधांजलि !
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaybhaskar.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंसवाई सिंह जी आपकी पूज्य माता जी को हमारी भी श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंhttp://anuragagra.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंhttp://anuragagra.blogspot.com/
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