एक ब्लॉग सबका में आप सभी का हार्दिक सुवागत है!

आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं!

यह ब्लॉग समर्पित है "सभी ब्लोग्गर मित्रो को"इस ब्लॉग में आपका स्वागत है और साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी! और मैने सभी ब्लॉगों को एकीकृत करने का ऐसा विचार किया है ताकि आप सभी ब्लोग्गर मित्रो खोजने में सुविधा हो सके!

आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं

तो फिर तैयार हो जाईये!

"हमारे किसी भी ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है!"



यहाँ प्रतिदिन पधारे

  • सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है - *आपका कार्य हो, आपका इरादा मजबूत हो, और** आप किसी भी हालत में हार नहीं मानते।"* सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है "निरंतरता"। निरंतरता का मतलब है कि हम अपने ल...
    1 हफ़्ते पहले

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक...एक रोचक पहलू


रावण के 10 सिर और श्रीराम के 1 सिर से जुड़ा एक रोचक पहलू

हिन्दू धर्म में विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि की नौ रातों में शक्ति पूजा द्वारा शक्ति संचय की भाव के साथ विजयादशमी पर श्रीराम का स्मरण किया जाता है और बुराई और अहंकार के प्रतीक रावण का दहन किया जाता है। 
राम-रावण युद्ध से जुड़ी यह मान्यता प्रचलित है कि भगवान राम ने रावण का वध कर अहंकार के अंत से ही तमाम सुख को पाने की राह दिखाई। किंतु राम और रावण के चरित्र और व्यक्तित्व को व्यावहारिक नजरिए से तुलना कर विचार करें तो रावण का अहंकार ही नहीं बल्कि उसके चरित्र की एक ओर बड़ी खामी दुर्गति का कारण बनी। 
यह दोष अगर किसी भी इंसान के चरित्र में मौजूद हो तो उसका हर गुण, योग्यता, क्षमता निरर्थक होकर असफल और दु:खी जीवन का कारण बन सकती है। इसे भगवान राम के 1 सिर व रावण के 10 सिरों पर गौर कर सोचें तो बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। तस्वीर पर क्लिक कर जानिए श्रीराम व रावण से जुड़ा एक रोचक पहलू -
दरअसल, अक्सर रावण के दस सिर चरित्र दोषों के प्रतीक माने जाते हैं। किंतु रावण के चरित्र का सकारात्मक पक्ष यह भी था कि वह वेद, शास्त्रों, अनेक कलाओं व विद्याओं के साथ ज्योतिष व कालगणना का ज्ञाता था। लिहाजा राम व रावण के व्यक्तित्व व चरित्र से जुड़ा एक दर्शन यह भी माना जाता है कि अगर राम बुद्धि संपन्न थे, तो रावण, राम से दस गुना बुद्धिमान था। बावजूद इसके वह राम के सामने परास्त हुआ। ऐसा इसलिए कि बुद्धि व ज्ञान संपन्नता के बावजूद रावण विवेक हीन था। जबकि सिर्फ एक सिर वाले राम बुद्धि के साथ विवेकवान भी थे यानी, सही और गलत, सत्य और असत्य, धर्म और अधर्म के बीच फर्क करने की अद्भुत क्षमता भगवान राम के पास थी, किंतु रावण के पास अभाव। 
दूसरे शब्दों में समझें तो राम का 1 सिर संकल्प का प्रतीक तो रावण को विकल्पों की उलझन का प्रतीक है। बस, राम की यही खूबी जीत का और रावण की खामी हार का कारण बनी। इस प्रसंग में सार यही है बुद्धि के साथ वक्त, हालात के मुताबिक सही और गलत को चुनने की सही निर्णय क्षमता भी सफल और सुखी जीवन के लिए अहम होती है। अन्यथा रावण की भांति दंभ, विकल्पों से भरा और विवेकहीन स्वभाव व व्यवहार जीवन में कुंठा, निराशा और असफलता लाता है।

साभार 
www.sai-ka-aangan.org

सादर
आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ  
आपका सवाई  सिंह राजपुरोहित

5 टिप्‍पणियां:

  1. "राम का 1 सिर संकल्प का प्रतीक तो रावण को विकल्पों की उलझन का प्रतीक है। बस, राम की यही खूबी जीत का और रावण की खामी हार का कारण बनी। "
    --- सही व संतुलित विवेचना..
    --- रावण एवं उसकी लंका अति उन्नत सभ्यता अर्थात भौतिक सभ्यता एवं भोगी सभ्यता की जीवन शैली, राम की सामान्य जीवन परहित शैली से भिन्न थी ...
    --- युगों युगों का एवं वर्तमान का भी इतिहास गवाह है कि अति-उन्नत, बहुविकल्पी, अति भौतिकवादी- स्व-भोगी सभ्यता सदा ही साधारण, कम उन्नत परन्तु परहित शुभ-संकल्प सहित सभ्यता से पराजित हुई है...

    जवाब देंहटाएं
  2. सटीक आलेख. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

एक ब्लॉग सबका में अपने ब्लॉग शामिल करने के लिए आप कमेन्ट के साथ ब्लॉग का यू.आर.एल.{URL} दे सकते !
नोट :- अगर आपका ब्लॉग पहले से ही यहाँ मौजूद है तो दोबारा मुझे अपने ब्लॉग का यू.आर.एल. न भेजें!

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लिखिए अपनी भाषा में

मेरी ब्लॉग सूची