आज के समय में भारत का हर नागरिक विदेश जाने की इच्छा रखता है | जिससे भी पूछो वही यही कहेगा जो सुख विदेश में मिलता है वो भारत में कहाँ | भारत को छोड़कर विदेश जाएं की चाह में आज न जाने कितने लोग इस ग़लतफहमी में है की विदेश जा कर ही बहुत सारा पैसा कमा सकेंगे विदेश जा कर ही नाम कमा सकेंगे , क्या इस सब चीजो की हमारे देश में कोई कमी है ? क्या भारत देश में रह कर नाम नहीं कमाया जा सकता |
हमारे देश में भी सब सुख सुविधाए उपलब्ध है जो विदेशो में है , अगर पूरी लगन ,
मेहनत के साथ काम किया जाये तो यहाँ रह कर भी नाम कमाया जा सकता है | विदेश जाने वाले ये नहीं सोचते की भारतभूमि ऊनके बारे में क्या सोचेगी , भारत भूमि यही सोचेगी की जिन बच्चो का जन्म भारत भूमि पर हुआ वो उस भूमि को छोड़ कर जा रहे है | क्या बच्चो को अपनी भारतभूमि पर विश्वास नहीं था जो दोस्रो की जमीन पर पैर रखने जा रहे है |
मेहनत के साथ काम किया जाये तो यहाँ रह कर भी नाम कमाया जा सकता है | विदेश जाने वाले ये नहीं सोचते की भारतभूमि ऊनके बारे में क्या सोचेगी , भारत भूमि यही सोचेगी की जिन बच्चो का जन्म भारत भूमि पर हुआ वो उस भूमि को छोड़ कर जा रहे है | क्या बच्चो को अपनी भारतभूमि पर विश्वास नहीं था जो दोस्रो की जमीन पर पैर रखने जा रहे है |
भारत भूमि को छोड़कर विदेश जाने की लालसा दिन प्रतिदिन लोगो में बढती जा रही है | इसका कारण यह है विदेशी सभ्यता ने भारतीयों की सोचने समझने के तरीके को ही बदल दिया है , आज के समय में विदेश जाने के लिए भारतीय नागरिक किसी भी हद तक जा सकता है भारत के नागरिको पर विदेशी माया का भूत इस कदर सवार हो चूका है , कि वो विदेश जाने के चक्कर में अपने घर बार ,जमीन आदि बेचकर जो पैसा इक्कठा करते है और उस पैसे को गलत हाथो में दे देते है , आज के दौर में लोग लाखो रूपये ट्रेवल एजेंटो को सोप कर चले जाते है और या समझने लगने लगते है शायद विदेश जाएं के रास्ते खुल गये | आज के समय में भारत में बहुत से ऐसे व्यक्ति और एजेंसिया है जो भोले- भाले लोगो को विदेश भेजने के नाम पर लाखो रूपये ऐठ लेते है |
ट्रेवल एजेंट लोगो को अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फसा कर उनका घर उजाड़ देते है आज तक ना जाने कितनो के साथ ऐसा धोखा हो चूका है पर हम लोग फिर भी सबक नहीं सीखते है भारतीयों ये समझ लेना चहिये की , जो सुख शांति पैसा रिश्ते नाते रीती रिवाज आपस का भाई चारा भारत में मौजूद है | वह विश्व के किसी कोने में नहीं है भारतीयों में जो अपने पन की भावना है वो कहीं नहीं है ! परन्तु आज भारत देश को
ऊँचे शिखर तक ले जाने के लिए हमे सच्ची लगन व् इमानदारी से देश की सेवा करनी होगी |
......सभी भारतीयों की अपने देश की शान के लिए अपने जान तक न्योछावर कर देना चाहिए |
इस बात को भारतीय अच्छी तरह से जान ले की विदेश में भारतीय पैसा तो कमा लेते है पर प्यार और अपनेपन की भावना को खो देते है |
इसीलिए भारतीय विदेश जाने की इच्छा न करे क्योकि जो प्यार और अपनेपन की भावना भारत देश
में है और कहीं भी नहीं है ............. संजय भास्कर
रचना भेजने वाले :- श्री संजय भास्कर जी
ब्लॉग का नाम :- आदत...मुस्कुराने की चलते चलते अब श्री संजय भास्कर जी को दस हजारी की बधाई तो देते जाईए ....सवाई सिंह राजपुरोहित
संजय भास्कर जी की नयी रचना आपके टिप्पणियो के इन्तेजार में है
ये लो हम भी हुए दस हजारी.....श्री संजय भास्करजी
अपने देश और अपनी माटी का अपना सम्मोहन होता है. विदेश यानी पराया घर ,जहां मिलेगा परायापन,जबकि अपनापन तो अपने ही देश में मिलेगा.अगर केवल पर्यटन अथवा किसी अध्ययन या अस्थायी नौकरी के नज़रिए से विदेश जाना हो, तो अलग बात है.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर |
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं ||
dcgpthravikar.blogspot.com
aapne sahi likha hae par apne desh ka durbhaagya kahiye ki rajnetik vyaktitva itne prabhaavi ho gye haen ki yogyata ka aanklan ho hi nahin rahaa hae.
जवाब देंहटाएंaapne sahi likha hae par apne desh ka durbhaagya kahiye ki rajnetik vyaktitva itne prabhaavi ho gye haen ki yogyata ka aanklan ho hi nahin rahaa hae.
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने ... आपके विचार सम्माननीय है
जवाब देंहटाएंपर क्या आपको लगता है कि जो बातें आपने कहीं है वो किसी को विदेश जाने से रोक सकती हैं. मुझे लगता है कि हमें कुछ और सार्थक और भौतिक तर्क भी प्रस्तुत करने चाहिए लोगो को विदेश जाने से रोकने के लिए.
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संजय जी,...
जवाब देंहटाएंदस हजारी बनने की बहुत२ बधाई,शुभकामनाये,...
जैसा लक्ष्य रखेंगे वैसा लक्षण स्वतः आयेंगे
वाह बहुत ख़ूब.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सोनू भाई
जवाब देंहटाएंmeri post ko apne blog par jagah dene ke liye shukriya sawai singh ji
जवाब देंहटाएंमनरो लाग्यो मेरा यार फकीरी में ......वैसे बहुत कुछ मरीचिका है दूर के ढोल सुहाने लगतें हैं हमने देखा है और बहुत करीब से देखा है हाड तोड़ मेहनत चाहिए वहां भी यहाँ भी ......
जवाब देंहटाएंजहाँ नहीं चैना..वहां नहीं रहना..
जवाब देंहटाएंसच अपना घर-देश अपना ही होता है..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..