करो तसल्ली लोक पल बिल हम ही तो बनवायेंगे
चाहे तुम कितने भी उस में संशोधन ले कर आना
पर मर्जी जो अपनी होगी उस को ही बनवायेंगे ||
साठ साल से करी तस्सली और साठ लग जायेंगे
कह तो दिया अभी हम ने हम भ्रष्टाचार मिटायेंगे
जब तक स्विस बैंक का पैसा इधर उधर न कर लेंगे
तब तक हम अपने पैरों पर नही कुल्हाड़ी खायेंगे ||
हम को दोष किस लिए देते हम तो हैं बिल ले आये
तुम ही उस में इतने २ संशोधन ले कर आये
अगर सभी संशोधन इस में पास यदि हम कर देते
फिर तो अगले दिन से हम को जेल के अंदर कर देते ||
यदि पास हो जायेगा ये लोक पल बिल संसद में
तब तो एक दरोगा आ कर पकड़ सकेगा संसद में
ऐसे लोक पाल की हड्डी गले नही फंसने देंगे
इस के टुकड़े २ कर के फेंकेंगे हम संसद में ||
कैसी बेशर्मी हैं ये वे दोष दूसरों को देते
उन की मंशा जग जाहिर है पर वे उस को क्यों कहते
इसी लिए कुछ भी कह कर वे खुद की खाल बचायेंगे
और दूसरों के माथे पर खूब दोष मढ़ जायेंगे||
रचना भेजने वाले :- श्री डॉ. वेद व्यथित जी
ब्लॉग का नाम :- साहित्य सर्जक
उसका लिक़ http://sahityasrajakved. blogspot.com
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,मगर जब संसद चाहेगा तब क़ानून बनेगा,..
जवाब देंहटाएंwelcome to new post--जिन्दगीं--
ईमेल के द्वारा श्री डॉ. वेद व्यथित जी ने कहा… बन्धुवर हार्दिक आभार स्वीकार करें आप ने बहुत सुंदर व मनोहारी रूप में मेरी रचना प्रस्तुत की है!
जवाब देंहटाएंदृढ संकल्प को उघरती , प्रेरणा दाई कविता ! कवी को हार्दिक अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंवर्तमान हालात को दर्शाती सुन्दर रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसंकल्प मजबूत होगा तो हालात बदलेंगे ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना अहि ...
वर्तमान हालात को दर्शाती बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंनववर्ष इसी तरह जीवन में सुरभि-सौन्दर्य लाए।
जवाब देंहटाएंनववर्ष इसी तरह जीवन में सुरभि-सौन्दर्य लाए।
जवाब देंहटाएंकरो तसल्ली लोक पल बिल हम ही तो बनवायेंगे
जवाब देंहटाएंअपने मन से जैसा चाहे हम उस को बनवायेंगे
चाहे तुम कितने भी उस में संशोधन ले कर आना
पर मर्जी जो अपनी होगी उस को ही बनवायेंगे ||
बहुत ही अच्छा है डॉ. वेद व्यथित जी