इस तरह हाड तोड़ सर्दी ने
कर दिए थे सारे उत्साह ठंडे
जमने लगे थे सम्बन्ध
परन्तु फिर भी श्न्वास की ऊष्मा
उर्जावान बनाये हुए थी उन्हें
नही तो शीत ने कहाँ कसर छोड़ी थी जमा देने में
अब तो बस एक ही प्रार्थना है
उर्जावान व गतिवान बने रहें यह श्न्वास
जिस से बचा रहे यह अस्तित्व
इस भयंकर शीत में ||
रचना भेजने वाले :- श्री डॉ. वेद व्यथित जी
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रचना भेजने वाले :- श्री डॉ. वेद व्यथित जी
ब्लॉग का नाम :- साहित्य सर्जक
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बहुत सार्थक प्रस्तुति, सुंदर रचना,बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंnew post...वाह रे मंहगाई...
bndhuvr kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंमानव हिम युग पार कर गया..फिर ये सर्दी क्या चीज़ है...
जवाब देंहटाएंश्वांस अवश्य चलती रहेगी.
bndhuvr sheet to bhynkr hi hai
हटाएंaap ka hardik aabhar vykt kr rha hoon kripya swikar kren
आदरणीय बन्धुवर मेरी रचना शीत की भयंकरता को सहृदयता पूर्ण चर्चा मंच पर स्थान दिया आप का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ कृपया स्वीकार कर के अनुग्रहित करें
जवाब देंहटाएंइस बार सर्दी ज्यादा पड़ रही है ...
जवाब देंहटाएंhardik aabhar
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंनेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उनको शत शत नमन!
बहुत सार्थक प्रस्तुति| धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंhardik aabhar bndhu
हटाएंसांस की ऊष्मा बनी रहे ठंडी सर्द आह न निकले सम्बन्ध न सीलन न पकड़ें .अच्छी रचना .
जवाब देंहटाएंhardik aabhar bndhu
हटाएंसार्थक प्रस्तुति| धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंkripya hardik aabhar swikar kren
जवाब देंहटाएंaap ka bhut 2 hardik aabhar
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंbndhu hardik aabhar swkaren
हटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए.....
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