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शनिवार, 10 मार्च 2012

काजल की रेख

आकर्षण

काजल की रेख कहीं
अंदर तक पैठ गई
तमस की आकृतियाँ
अंतर की सुरत हुईं

मन को झकझोर दिया
गहरी सी सांसों ने ||

दूर कहाँ रह पाया
आकर्षण विद्युत सा
अंग अंग संग रहा
तमस बहु रंग हुआ

गहरे तक डूब गया
अपनी ही साँसों में ||

चाहा तो दूर रहूँ
शक्त नही मन था
कोमल थे तार बहुत
टूटन का डर था

सोचा संगीत बजे
उच्छल इन साँसों में ||

जो भी जिया था
उस क्षण का सच था
किस ने सोचा ये
आगे का सच क्या

फिर भी वो शेष रहा
जीवन की सांसों में ||

32 टिप्‍पणियां:

  1. bndhuvr aap ka nirntr sneh prapt ho rha hai kripya mera hardik aabhar swikar kr ke anugrhit kren

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. aap ka nirntr smvad prapt ho rha hai mn ko prsnnta hoti hai kripya mera hardik aabhar swikae kr len mujhe achchha lgega

      हटाएं
  3. आप मेरे ब्लॉग पे आये बहुत ही अच्छा लगा आपका बहुत बहुत हार्दिक अभिनन्दन है मेरे ब्लॉग पे बस आप असे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहिये
    जिसे मुझे उर्जा मिलती है
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
    आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
    और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है बस असे ही लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये
    होली की हार्दिक सुभकामनाये
    १.बेटी है गर्भ में गिराए क्या ??????
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_07.हटमल
    2दो जन्म

    कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: जब इस्लाम मूर्ति पूजा के विरुद्ध है तो मुसलमान काब..
    http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/02/blog-post_27.html

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्तर
    1. ruchi ji kripya mera hardik aabhar swikar kren
      nivedn hai ydi smbhv ho ske to yhin pr meri ek rchna stri v doosri maiun bhi dekhne ka ksht kren
      aabhar shit
      dr. ved vyathit
      09868842688

      हटाएं
  5. जो भी जिया था
    उस क्षण का सच था
    किस ने सोचा ये
    आगे का सच क्या

    फिर भी वो शेष रहा
    जीवन की सांसों में ||

    बहुत सही लिखा है आपने

    जवाब देंहटाएं
  6. bhai swai singh ji is sb ka shrey main aap ko deta hoon
    km logon ne is kii prshnsa ki hai prntu jinhone ki hai ve gunijn hi hain
    prvasi dunoya ke smpadk ji ne mujhe mail kr ke is kii prshnsa ki hai
    main aap ka hardik aabhar vykt krta hoon

    जवाब देंहटाएं
  7. दूर कहाँ रह पाया
    आकर्षण विद्युत सा
    अंग अंग संग रहा
    तमस बहु रंग हुआ

    गहरे तक डूब गया
    अपनी ही साँसों में ||

    kya likhun .....bs ak hi shabd lajabab

    जवाब देंहटाएं
  8. बढ़िया अभिव्यक्ति
    शुभकामनायें आपको वेद व्यथित जी !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. bhai stish ji main anubhv krta hoon ki aap ka sneh sda mere sath rhta hai usi se toote foote shbd bn pdte hain yh sb aap ke sneh ka prinam hai
      mera hardik aabhar swikar kren

      हटाएं
  9. गहरे तक डूब गया
    अपनी ही साँसों में ...
    बहुत सुंदर,शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  10. उत्तर
    1. aap kii shubhkamnaye to mujhe jb main net pr aya hi tha tbhi ke parmbhik dino se praptb hui hain vhi to mera smbl bna nhi to main is se drta tha aap jaise shridyon ne mujhe aage bdhaya hai
      vshesh roop me aap ka hardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren

      हटाएं
  11. जो भी जिया था
    उस क्षण का सच था
    किस ने सोचा ये
    आगे का सच क्या ....bahut hi gahan abhwaykti.

    जवाब देंहटाएं
  12. dr. nisha ji nirntr sneh prapt ho rha hai hridy se aabhari hoon kripya swikar kren

    जवाब देंहटाएं

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