कैसी --कैसी गज़लें ---
शेर मतले का न होतो, कुंवारी ग़ज़ल होती है। हो काफिया ही जो नहीं, बेचारी ग़ज़ल होती है।
और भी मतले हों, हुस्ने तारी ग़ज़ल होती है,
हर शेर ही मतला हो, हुस्ने-हजारी ग़ज़ल होती है।
हो रदीफ़ काफिया नहीं, नाकारी ग़ज़ल होती है,
मकता बगैर हो ग़ज़ल, वो मारी ग़ज़ल होती है।
मतला भी, मक्ता भी, रदीफ़ काफिया भी हो,
सोची, समझ के, लिख के,सुधारी ग़ज़ल होती है ।
हो बहर में, सुर ताल लय में ,प्यारी ग़ज़ल होती है,
सब कुछ हो कायदे में, वो संवारी ग़ज़ल होती है।
हर शेर एक भाव हो, वो जारी ग़ज़ल होती है,
हर शेर नया अंदाज़ हो, वो भारी ग़ज़ल होती है।
मस्ती में कहदें झूम के, गुदाजकारी ग़ज़ल होती है,
उनसे तो जो कुछ भी कहें, मनोहारी ग़ज़ल होती है।
जो वार दूर तक करे, वो करारी ग़ज़ल होती है,
छलनी हो दिले-आशिक, वो शिकारी ग़ज़ल होती है। हो दर्दे-दिल की बात, दिलदारी ग़ज़ल होती है,
मिलने का करें वायदा, मुतदारी ग़ज़ल होती है।
तू गाता चल ऐ यार ! कोई कायदा न देख,
कुछ अपना ही अंदाज़ हो, खुद्दारी ग़ज़ल होती है ।
जो उस की राह में कहो, इकरारी ग़ज़ल होती है,
अंदाजे-बयाँ हो श्याम' का, वो न्यारी ग़ज़ल होती है॥
हो दर्दे-दिल की बात, दिलदारी ग़ज़ल होती है,
जवाब देंहटाएंमिलने का करें वायदा, मुतदारी ग़ज़ल होती है।
वाह !!!!! क्या बात है श्याम जी,.आपने गजल क्या होती है,
पूरी परिभाषा लिख दी है,....
हो दर्दे-दिल की बात, दिलदारी ग़ज़ल होती है,
हटाएंमिलने का करें वायदा, मुतदारी ग़ज़ल होती है।
वाह !!!!! क्या बात है श्याम जी,.आपने गजल क्या होती है,
पूरी परिभाषा लिख दी है,....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
धन्यवाद धीरेन्द्र जी...
हटाएंहो दर्दे-दिल की बात, दिलदारी ग़ज़ल होती है,
जवाब देंहटाएंमिलने का करें वायदा, मुतदारी ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल के सभी पहलू साध लिए हों ,तब प्यारी ग़ज़ल होती है ,
श्याम गुप्ता की ग़ज़ल होती है .
डॉ .साहब यहाँ भी एक नजर -
बुधवार, 18 अप्रैल 2012
कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र -- भाग दो
कोणार्क सम्पूर्ण चिकित्सा तंत्र
-- भाग दो –
धन्यवाद बीरूभाई जी...आभार..
हटाएंsundar rachna hae.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सन्गीता जी....
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