शोर मचाकर छवि यूं बोली,
मुन्नी बोली छवि ने मारा,
छवि बोली मुन्नी ने मारा।
परेशान हो अंकल बोले ,
अच्छा दोनों बतलाओ।
किसको कहाँ कहाँ आयी है,
चोट ज़रा सा दिखलाओ।
मुन्नी बोली चलते चलते,
सबने लिया सहारा था ।
पर छवि ने अपने पैरों,
से मेरे पैर में मारा था।
हल्का सा नाखून हुभा था,
छवि बोली नाखून, अरे!
सबके पैरों में होता है।
फिर कैसे तुम कह सकती हो,
छवि ने पैर से मारा था।
सबने चलते समय लिया जब ,
इक दूजे का सहारा था।
रीता बोली मेरे तो,
नाखून नहीं है यह देखो ।
मीता बोली मैं तो देखो,
छोटे छोटे रखती हूँ ।
अंकल बोले अच्छी बात है,
जो नाखून साफ़ रखते ।
गलती सब से होती है ,पर
अच्छे बच्चे कभी न लड़ते ।।
man moh liya aapki post ne. meri nai post par svagat hae.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सन्गीता जी.....
जवाब देंहटाएं---धन्यवाद शास्त्रीजी ...आभार...
बढ़िया बाल रचना .बधाई स्वीकार करें .
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं
शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_2612.html
मार -कुटौवल से होती है बच्चों के खानदानी अणुओं में भी टूट फूट
Posted 26th April by veerubhai
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.html
bahut pyari kavita :)
जवाब देंहटाएंमत भेद न बने मन भेद- A post for all bloggers
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना....
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