एक ब्लॉग सबका में आप सभी का हार्दिक सुवागत है!

आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं!

यह ब्लॉग समर्पित है "सभी ब्लोग्गर मित्रो को"इस ब्लॉग में आपका स्वागत है और साथ ही इस ब्लॉग में दुसरे रचनाकारों के ब्लॉग से भी रचनाएँ उनकी अनुमति से लेकर यहाँ प्रकाशित की जाएँगी! और मैने सभी ब्लॉगों को एकीकृत करने का ऐसा विचार किया है ताकि आप सभी ब्लोग्गर मित्रो खोजने में सुविधा हो सके!

आप भी इसमें शामिल हो सकते हैं

तो फिर तैयार हो जाईये!

"हमारे किसी भी ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है!"



यहाँ प्रतिदिन पधारे

शनिवार, 16 जून 2012

---वीणा-सारंग .....डा श्याम गुप्त





सारंग !
तुम संगीत में आत्म लय हो जाते हो  ।
नादानंद
वीणा-नाद के स्वर रूपी-
मोह जाल में बंधकर 
जान से जाते हो  ।
क्यों ?
जाल में फंसा घायल मृग  ,
तड़फड़ाया  ;
टूटती हुई साँसों से,
यही कह पाया  ।
श्रीमान !
यह तो है प्रेम की ही माया ,
नाद प्रेम तो है जन जन में समाया  ।
नाद जीवन है, नाद जगत है ,
नाद है प्रभु की छाया  ।
जो आनंद नाद जी लेता है,
नाद रूपी प्रेम रस पी लेता है ,
वह तो एक क्षण में ही -
सारा जीवन जी लेता है  ||

नाद आनंद है,
प्रेमानंद है, परमानंद है,
ब्रह्मानंद है  |
कल कल निनाद है,
अंतर्नाद है  |
सारा जगत ही जीवन का नाद  है ;
नाद ब्रह्म का संवाद  है  |
फिर क्या जीना ,
क्या मरना ;
व्यर्थ का विवाद है ||

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूबसूरत रचना श्याम जी......
    सादर.

    अनु

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद...अनु...
      ----आनन्दाणु समस्त विश्व में प्रवाहित हों.. ॐ..

      हटाएं
  3. सारा जगत ही जीवन का नाद है ;
    नाद ब्रह्म का संवाद है |
    फिर क्या जीना ,
    क्या मरना
    वाह ... बहत खूब ....सुन्दर अभिव्यक्ति |

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद सबाई सिन्ह जी... जीवन स्वयं ही ब्रह्म का का नाद है.."एकोहं बहुस्याम"..

    जवाब देंहटाएं

एक ब्लॉग सबका में अपने ब्लॉग शामिल करने के लिए आप कमेन्ट के साथ ब्लॉग का यू.आर.एल.{URL} दे सकते !
नोट :- अगर आपका ब्लॉग पहले से ही यहाँ मौजूद है तो दोबारा मुझे अपने ब्लॉग का यू.आर.एल. न भेजें!

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

लिखिए अपनी भाषा में

मेरी ब्लॉग सूची