यह सच है कि दीन- हीन में दीनानाथ बचते हैं।
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।!*आज का सुविचार!।*
*दूसरे व्यक्ति को उसके दुख से बाहर निकालने से बड़ा और बेहतर कोई काम नही!
दुनिया में आने वाले सभी अवतार/ सन्त महात्मा ने यही किया!*
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1 माह पहले
प्रेरणा दायक लेख |
जवाब देंहटाएंआशा
प्रेरणा दायक सार्थक लेख |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रविकर, कनेरी जी एवं आशा जी.....
जवाब देंहटाएंबढिया रचना है
जवाब देंहटाएंwww.onetourist.blogspot.com
उनकी स्याही चरित्र की होनी चाहिये जिससे लेखन चिरस्थायी होता है…………ये है सबसे बडे पते की बात ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वन्दना जी एवं मनु जी....सही कहा पते की बात है...चरित्र ही तो सब कुछ है ...जो आजकल पाश्चात्यीकृत-चरित्रहीन-बाजारवाद के कारण गिरता जा रहा है ....
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