एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब है नवदुर्गा के नौ स्वरूप
-
सबसे पहले तो आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं माता रानी आप सभी के
मनोकामनाओं को पूर्ण करें ऐसी मंगल कामनाएं
*नवदुर्गा के नौ रूपों में स्त्री जीव...
2 दिन पहले
बढिया रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनु जी ....यह आधुनिक मनुस्मृति है जी...
हटाएंसही है वैसे भी जब सिर पर रोटी कपडा और मकान की धुन सवार रहती है तब और कुछ नहीं सूझता .सार्थक प्रस्तुति आभार अरविन्द की पार्टी :क्या अलग है इसमें -कुछ नहीं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शालिनी जी...रोटी कपड़ा और मकान प्राप्ति हेतु तो प्रयत्न अत्यावश्यक हैं ही ...बस लिप्तता न हो ...तो अन्य महत प्रश्नों व ईश्वर-चिंतन हेतु समय मिल ही जाता है ..दोनों आवश्यक हैं ...यही मोक्ष है ....
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (06-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
धन्यवाद शास्त्री जी ...आभार
हटाएंबहुत ख़ूब! वाह!
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
स्विस बैंक उस
जवाब देंहटाएंसमय शायद
नहीं होता होगा
नेता होता होगा
पर सो रहा
होता होगा
रोटी खाते होंगे
लोग बस
पैसा कोई शायद
उस समय
नहीं खा रहा होगा !
धन्यवाद --सुशील जी ...
जवाब देंहटाएंचैन से खुद सोता होगा नेता,
औरों को भी होगा,सोने देता |
मनुष्य रहता होगा मस्त ऐसा,
नहीं खाता होगा कोई पैसा ||
धन्यवाद --सुशील जी ...
जवाब देंहटाएंचैन से खुद सोता होगा नेता,
औरों को भी होगा,सोने देता |
मनुष्य रहता होगा मस्त ऐसा,
नहीं खाता होगा कोई पैसा ||