वसंत के आने से चमक लौट आई है
तुम्हारी आँखों में
वे अधिक चंचल सी
हो गईं लगतीं हैं
उन में मादकता
टपक 2 पड़ रही है
ओसे ही
चौकन्ने हुए लग रहे हैं
तुम्हारे कान
कोई भी आह्ट चौंका
देती है उन्हें
ऋतू आसक्त मृगी की भाँति
कोई मधुर स्वर स्वत:
अनुगुंजित हो रहा है उन में
ऐसे ही बिखर रही है
तुम्हारे पास वह गंध
जो वसंत आने पर ही
प्रस्फुटित हिती है
नव पल्लवों से
नव कलिकाओं से
या नव वनस्पतियों के अंग २ से
और जो बसंती बयार बार २
छो रही है तुम को जिसे तुम्हारे स्पर्श ने
कुछ और अधिक कमनीयता
प्रदान कर दी है
और मन तो जैसे
बौरा ही गया है
बसंत के आने से
आखिर उस ने ही तो
कर दिया है सब बसंती
नही तो इस पतझरे काष्ठ में
कहाँ था यह सब
जिसे तुम बसंती कह रही हो
जिसे तुम मधुमय कह रही हो ||
तुम्हारी आँखों में
वे अधिक चंचल सी
हो गईं लगतीं हैं
उन में मादकता
टपक 2 पड़ रही है
ओसे ही
चौकन्ने हुए लग रहे हैं
तुम्हारे कान
कोई भी आह्ट चौंका
देती है उन्हें
ऋतू आसक्त मृगी की भाँति
कोई मधुर स्वर स्वत:
अनुगुंजित हो रहा है उन में
ऐसे ही बिखर रही है
तुम्हारे पास वह गंध
जो वसंत आने पर ही
प्रस्फुटित हिती है
नव पल्लवों से
नव कलिकाओं से
या नव वनस्पतियों के अंग २ से
और जो बसंती बयार बार २
छो रही है तुम को जिसे तुम्हारे स्पर्श ने
कुछ और अधिक कमनीयता
प्रदान कर दी है
और मन तो जैसे
बौरा ही गया है
बसंत के आने से
आखिर उस ने ही तो
कर दिया है सब बसंती
नही तो इस पतझरे काष्ठ में
कहाँ था यह सब
जिसे तुम बसंती कह रही हो
जिसे तुम मधुमय कह रही हो ||
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मैं चाहता था खूब सारा पिला रंग घोलूँ
और तुम्हे सराबोर कर दूं उस में
तुम्हारा अंग २ पवित्र सा हो जाये
तुम पीत वसना हो कर
वसन्ति सुगंध से भर जाओ
परन्तु पसंद नही था तुम्हें
यह रंग बिलकुल भी
तुम तो चाहतीं थीं
गुलाबी रंग में सराबोर होना परन्तु मेरे लिए
विरोध भी नही क्या था तुमने
और स्वीकार भी नही था तुम्हें वह रंग
क्यों कि हम दोनों ही
अभी अनजान थे
उस रंग से जिस में सराबोर होना था हम दोनों को
आओ कोशिश करें
उस रंग को घोलने की !!
और तुम्हे सराबोर कर दूं उस में
तुम्हारा अंग २ पवित्र सा हो जाये
तुम पीत वसना हो कर
वसन्ति सुगंध से भर जाओ
परन्तु पसंद नही था तुम्हें
यह रंग बिलकुल भी
तुम तो चाहतीं थीं
गुलाबी रंग में सराबोर होना परन्तु मेरे लिए
विरोध भी नही क्या था तुमने
और स्वीकार भी नही था तुम्हें वह रंग
क्यों कि हम दोनों ही
अभी अनजान थे
उस रंग से जिस में सराबोर होना था हम दोनों को
आओ कोशिश करें
उस रंग को घोलने की !!
रचना भेजने वाले :- श्री डॉ. वेद व्यथित जी
ब्लॉग का नाम :- साहित्य सर्जक
उसका लिक़ http://sahityasrajakved.blogspot.com
ब्लॉग का नाम :- साहित्य सर्जक
उसका लिक़ http://sahityasrajakved.blogspot.com
एक ब्लॉग सबका की ओर से ब्लाग जगत के सभी साथियों को
वसंत पंचमी की हार्दिक बधाइयाँ !!
वसंत पंचमी की हार्दिक बधाइयाँ !!
यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने
मुझे अपने अनुभव बताएं, जिससे कि
मैं इसे और बेहतर करने का प्रयास कर सकूं!
** धन्यवाद **
सवाई सिंह राजपुरोहित
आपको भी वसंत पंचमी की हार्दिक बधाइयाँ शुभकामनाए.....
जवाब देंहटाएंbndhu hardik aabhar
हटाएंbndhu hardik aabhar
हटाएंइस ब्लॉग के माध्यम से सभी को बसंत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंbndhuvr hardik aabhar
हटाएंबसंत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंmonika ji hardik aabhar
हटाएंआपको सपरिवार बसंतपंचमी की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंrekha ji hardik aabhar swikar kren
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंhardik aabhar bndhuvr
हटाएंबहोत अच्छे ।
जवाब देंहटाएंनया ब्लॉग
http://hindidunia.wordpress.com/
hardik aabhar vbndhu
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंक्या यही गणतंत्र है
hardik aabhar bndhu
हटाएंबेहतरीन प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंbhut 2 hardik aabha
हटाएं