दिल किरच किरच टूटे
दिल किरच किरच टूटे और टूटता ही जाये
बाक़ी बचे न कुछ भी फिर भी धडकता जाये
कहने को साँस चलती रहती है खुद ब खुद ही
ये ही नही है काफी बस साँस चलती जाये
मौसम की बात छोडो अब खेत ही कहाँ हैं
खेतों में खूब जंगल लोहे का बनता जाये
तड़पन को कौन पूछे कितना भी दिल तडप ले
जब तक चले हैं सांसे बेशक तडपता जाये
ये भी हर भरा था जो ठूंठ सा खड़ा है
किस को पडी है बेशक मिट्टी में मिलता जाये
पाया नही जो चाहा अनचाहा खूब पाया
दुनिया में कब हुआ है जो चाहें मिलता जाये
अब बहुत हो चुका है सूरज का तमतमाना
अब तो गरज के बदरा रिमझिम बरसता जाये |
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना..
aap ka nirntr meri rchna ko sneh prapt ho rha hai hridy se aabhari hoon swikar kren
हटाएंmail dr.vedvyathit@gmail.com
भावपूर्ण बेहतरीन सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंaap ka sneh nirntr prapt ho rha hai hridy se aabhari hoon kripya swikar kren
हटाएंकल 22/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल '' तेरी गाथा तेरा नाम '' पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
जवाब देंहटाएंaap ka sneh mujhe poorvt prapt huaa hai kripya mera hardik aabhar swikar kren
हटाएंसुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर
bndhuvr kripya hardik aabhar swikar krne ki kripa kren
हटाएंbndhuvr kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंबहुत सुन्दर .....
जवाब देंहटाएंaap ka nirntr meri rchna ko sneh mil rha hai bhut 2 dridy se aabahri hoon
हटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंaap ka nirntr meri rchna ko sneh mila hai hardik aabhar vykt krta hoob kripya swikar kren
हटाएंअच्छी अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंmaera saubhagy aap ko rchna achchhi lgi kripya mera haardik aabhar swikar kren
हटाएंअब बहुत हो चुका है सूरज का तमतमाना
जवाब देंहटाएंअब तो गरज के बदरा रिमझिम बरसता जाये |
नव तराने सा सुन्दर है यह नवगीत .
aap kii kripa ka hridy se aabhari hoon kripya swikar kren
हटाएंसुन्दर कविता ! अशांत जीवन की शांति कहाँ ?
जवाब देंहटाएंwww.gorakhnathbalaji.blogspot.com
bndhuvr kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंbhai swai singh ji is ke liye aap hi to uttrdayi hain ydi aap mujhe yhan n late to bhla yh sb kaise smbhv hai main is ka smpoon shrey aap ko hi deta hoon
हटाएंise swikar kren
कंक्रीट के जंगलों में ...कहाँ छाँव ढूँढ़ते हो ....यह वोह शै है जो हम खुद ही गवां बैठे ! भावपूर्ण रचना !!
जवाब देंहटाएंkripya hardik aabhar swkar krne kii kripa kren
हटाएंkripya hardik aabhar swkar krne kii kripa kren
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंaap ka hardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren
हटाएंसुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंbndhuvr snjay ji aap ka rchna ko diya sneh mera smbl hai is ebnaye rhiye kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंआपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंkropya hardik aabhar swikar kren
हटाएंkropya hardik aabhar swikar kren
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