इसी लिए आप से सम्वाद स्थापित करने का साहस कर रहा हूँ मैंने इस से पूर्व एक नव गीतिका प्रस्तुत की थी
१ वह और जो अब प्रस्तुत कर रहा हूँ ये रचनाये गजल नही है है
२ क्यों कि गजल के लिए बाहर का होना जरूरी है जैसे दोहा चंद का विधान है यदि दोहा रचना में यह विधान पूर्ण है तो वह दोहा है अन्ता नही है इसी प्रकार गजल है यदि उस में भर है तो वह गजल है अन्ता नही है |
३और यदि आप आप को उर्दू लिपि की व अरबी व फारसी की भर पता हैं तो भी वे देवनागरी के वर्ण कर्म के अनुसार नही हो सकतीं क्यों कि दोनो की गणना में अंतर है
४हिन्दी में गीति परम्परा बहुत पुरानी है
इसे ही विभिन्न छंदों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है
यह नव गीतिका भी इसी सन्दर्भ में हैं
नजर खंजर चुभती है नजर घायल बहुत करती
नजर का तीर ऐसा है जो दिल के पार जाता है |
नजर की हद जितनी है वहाँ तक भेद जाती है
नजर से क्या बचा है आज तक सब हार जाता है |
नजर हल्की नही समझो नजर कातिल बहुत होती
नजर के सामने तो हर जहर भी हार जाता है |
नजर बिन कब नजारे हैं नजर के बिन कहाँ दुनिया
अँधेरा घुप्प कितना हो वह भी हार जाता है |
नजर जब मिल नही सकती नजर फिर क्यों मिलते हैं
मगर नजरें चुरा कर भी कहीं दिल हार जाता है ||
atisundar post hae .bdhai.
जवाब देंहटाएंsngiita ji aap ka meri rchna ko nirntr sneh prapt ho rha hai bhut sukhd lgta hai
हटाएंkripya meri or se hardik aabhar swikar kr len
नजर बिन कब नजारे हैं नजर के बिन कहाँ दुनिया
जवाब देंहटाएंअँधेरा घुप्प कितना हो वह भी हार जाता है |
बहुत बढ़िया नवगीत.....
बधाई.
vidya ji aap ka meri rchna ko nirntr sneh prapt ho rha hai bhut sukhd lgta hai
हटाएंkripya meri or se hardik aabhar swikar kr len
बहुत अच्छी प्रस्तुति,सुंदर नवगीत के लिए बधाई,.....
जवाब देंहटाएंNEW POST...काव्यांजलि...आज के नेता...
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...
bndhur aap ka nirntr sneh prapt ho rha hai hardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren
हटाएंहार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं...बेहतरीन काव्य के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंbhai snjy ji yh sb aap kii shridyta hai kripya hardik aabhar swikr kren
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंrekha ji aap kii shridyta hi rchna ka saubhagy hai kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंसुंदर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंkripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंbndhuver aap ka nirntr meri rchna ko sneh mil rha hai hridy se aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren
जवाब देंहटाएंबहुत श्रेष्ठ और सटीक!
जवाब देंहटाएंbndhuvr pta nhi rchna achchhi thi ya nhi
हटाएंprntu ab ho gai hai
hardik aabhar swikar kr len kripa kr ke
आदरणीय श्री डॉ.वेद व्यथित जी प्रणाम स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना, इस रचना के लिए आभार
देरी से आने के लिये क्षमा
आपका अपना
सवाई सिंह
aap deri se khan aaye hain aap to sda mere nikttm hain aabhar swikar kren
हटाएंमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंसबसे पहले दक्ष को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.!
बहुत ही बढि़या
जवाब देंहटाएंaap ko rchna ruchikr lgi mere liye bhut kuchh hai kripya mera haardik aabhaar swikar kr len
हटाएंरचना के लिए आभार
जवाब देंहटाएंsngita ji aap ko rchna bhai kripya mera hardik aabhar swikar kr len
जवाब देंहटाएंनजर जब मिल नही सकती नजर फिर क्यों मिलते हैं
जवाब देंहटाएंमगर नजरें चुरा कर भी कहीं दिल हार जाता है ||
मजा आ गया पढ़ कर
ये अलग अलग विधानों का क्या गणित है और ये गीत, गजल, गीतिका आदि में अंतर मुझे ज्यादा पता नहीं | थोड़ा विस्तार से बतायें तो और अच्छा
आदरणीय श्री डॉ.वेद व्यथित जी
जवाब देंहटाएंआपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है
bhai ye aap kii shriyta hai jo aap ko rchna achchhi lgti hain vrna main kya likh pta hoon sb aap bhaiyon ka pyar hai bs ise bnye rhiye
हटाएंaabhar swkar kren
आपका हृदय से बहुत बहुत आभार!...... सोनू
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
जवाब देंहटाएंbndhuvr hardik aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren nirntr smvad bna rhe prsnnta hogi
हटाएंबहुत ही बढि़या रचना
जवाब देंहटाएंbndhuvr hardik aabhar swikar kren nirntr smvad bna rhe prsnnta hogi
हटाएंहे भगवान!
जवाब देंहटाएं