सूरज अठखेली करता है
पता कहाँ चल पाया मुझ को
इतनी जल्दी सांझ हो गई
दिन बीता सपने सा खाली
फिर अंधियारी रात हो गई ||
दीख रहा था अभी सामने
हाथ बढ़ा कर छूना चाहा
पर माया मृग बन कर खुद को
खुद से दूर बहुत ही पाया
कहाँ २ ढूँढा फिर खुद को
सब कोशिश बेकार होगी ||
आखों का विश्वाश अगर मैं
कर भी लूं तो नादानी है
बिना बताये कहाँ उलझ लें
वे पीड़ा से अनजानी हैं
उन का क्या वे उलझ २ कर
मुझ को बेहद पीर दे गईं
sundar post hae par din ke nikalne ka intajar sda hi ho.aabhar.
जवाब देंहटाएंhridy kii gahaariyon se aabhar
हटाएं"अभी तो दिन निकला है
जवाब देंहटाएंसूरज अठखेली करता है
पता कहाँ चल पाया मुझ को
इतनी जल्दी सांझ हो गई
दिन बीता सपने सा खाली
फिर अंधियारी रात हो गई ||"
sundar panktiyaan....
aapar sneh ke liye mera hardik aabhar swikar kren bndhuvr
हटाएंदिन बीता सपने सा खाली
जवाब देंहटाएंफिर अंधियारी रात हो गई ||very nice.
dr. nisha ji aap ke apar snen ke liye hridy kii gahraaiyon se aabhari hoon
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 26-03-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
aadrni bndhu vr nirntr aap ka agadh sneh mil rha hai hridy kii gahraiyon se aabhar vykt krta hoon
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.... वाह!
जवाब देंहटाएंaap ki vah mera smbl hai kripya mera hardik aabhar swikar kren
हटाएंवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंaap ka yh sneh bhav mere liye smbl hai
हटाएंkripya hardik aabhr swikar kren
bndhu kin shbdon me aap ke sneh ka uttr doon
जवाब देंहटाएंkripya mera hardik aabhar swikar kren
sundar rachna...aabhar
जवाब देंहटाएंbndhuvr hardik aabhar swikar kren
हटाएंदिन बीता सपने सा खाली
जवाब देंहटाएंफिर अंधियारी रात हो गई ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
aap ka apar snhe mera smbl hai hardik aabhar swikar kren
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
bndhuvr aap ka agadh sneh nirntr mil rha hai
हटाएंhardik aabhar swikar kren
umda rachna hai
जवाब देंहटाएंbhut 2 hardik aabhar
हटाएंआदरणीय श्री डॉ. वेद व्यथित जी
जवाब देंहटाएंइस रचना के लिए आभार
आखों का विश्वाश अगर मैं
कर भी लूं तो नादानी है
बिना बताये कहाँ उलझ लें
वे पीड़ा से अनजानी हैं
बहुत खूब लिखा है.
आद.श्री डॉ.वेद व्यथित जी
जवाब देंहटाएंआगरा में ताज महोत्सव होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका! इस में मेरा भी स्टोल था!
" सवाई सिंह "
prsnnta hui ki aap ne vhan sahbhagita ki bhut 2 bdhai
हटाएंअशुद्ध कविता है....
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