नाग गले में लिपटे रहते,
चन्दा माथे पर जिनके।
जटाजूट में गंगा बहती,
है त्रिशूल कर में उनके।
नेत्र तीसरा है मस्तक पर,
नीला कंठ सुहाया है ।
कटि पर बस मृगछाला बांधे,
तन पर भष्म रमाया है ।
बच्चो! ये भोले शंकर हैं,
शिव-शंभू भी कहलाते ।
देवों के भी देव हैं इससे,
महादेव बोले जाते ।
अर्थ ये लिपटे नागों का है,
दुष्टों को बस में करते ।
फिर भी शीतल रहे ह्रदय, वे-
चन्दा माथे पर रखते ।
जग के कष्टों का विष पीकर,
नीलकंठ बन जाते हैं ।
सत तम रज का त्रिशूल थामे,
प्रेम की गंगा बहाते हैं ।।
चन्दा माथे पर जिनके।
जटाजूट में गंगा बहती,
है त्रिशूल कर में उनके।
नेत्र तीसरा है मस्तक पर,
नीला कंठ सुहाया है ।
कटि पर बस मृगछाला बांधे,
तन पर भष्म रमाया है ।
बच्चो! ये भोले शंकर हैं,
शिव-शंभू भी कहलाते ।
देवों के भी देव हैं इससे,
महादेव बोले जाते ।
अर्थ ये लिपटे नागों का है,
दुष्टों को बस में करते ।
फिर भी शीतल रहे ह्रदय, वे-
चन्दा माथे पर रखते ।
जग के कष्टों का विष पीकर,
नीलकंठ बन जाते हैं ।
सत तम रज का त्रिशूल थामे,
प्रेम की गंगा बहाते हैं ।।
जय बाबा भोले नाथ |
जवाब देंहटाएंसस्वर गाने की सफल कोशिश की ।
आभार ।
सुंदर गीत....
जवाब देंहटाएंजय शिवशंकर...
वाह !!!!! बहुत सुंदर शिव गीत ,क्या बात है,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
वाह !!!!! बहुत सुंदर शिव गीत ,क्या बात है,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
धन्यवाद रविकर जी, धीरेन्द्र जी एवं हबीब साहब....जय भोले शन्कर....
जवाब देंहटाएंनाग गले में लिपटे रहते,
जवाब देंहटाएंचन्दा माथे पर जिनके।
जटाजूट में गंगा बहती,
है त्रिशूल कर में उनके।
बहुत सुंदर गीत, बहुत खूब लिखा है..
आदरणीय डॉ.श्याम गुप्ताजी पोस्ट करने के लिए आभार...आपका
जवाब देंहटाएंसवाई सिंह
धन्यवाद...सवाई सिन्ह जी....
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