भक्तों की तारिणी माँ,
आठ भुजा धारी है ।
कर में त्रिशूल, कमल,
खड्ग गदा धारी है ।
शंख चक्र धनु बाण ,
ओउम करतल सोहे।
स्वर्ण आभूषण जटित,
धवल कांति मन मोहे ।
शैलपुत्री, चंद्रघंटा ,
कूष्मांडा,ब्रह्मचारिणी।
स्कंदमाता, कालरात्रि,
और कात्यायिनी ।
महागौरी, सिद्धिदात्री,
नौ रूप धारी है।
मुख पर मुस्कान मृदुल,
दुष्ट दमनकारी है ।
सृष्टि की सृजक माता,
जग पालन हारी है।
आदिशक्ति,जगदम्बे,
लाल वस्त्र धारी है।
दुर्गति निवारिणी माँ,
दुःख: हरण हारी है।
बच्चो ! ये दुर्गा माँ,
सिंह की सवारी है ।।
वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब श्याम जी ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
धन्यवाद धीरेन्द्र जी....
हटाएंसुंदर पावन स्तुति है माँ की.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद धीरेन्द्र जी एवं मोनिका जी...
जवाब देंहटाएंभक्तों की तारिणी माँ,
जवाब देंहटाएंआठ भुजा धारी है ।
कर में त्रिशूल, कमल,
खड्ग गदा धारी है ।
शंख चक्र धनु बाण ,
ओउम करतल सोहे।
स्वर्ण आभूषण जटित,
धवल कांति मन मोहे ।
रचना वाकई तारीफ के काबिल है
आपका आभार
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