शेर मतले का रहे , तो ग़ज़ल होती है ।
शेर मक्ते का रहे, तो ग़ज़ल होती है ।
रदीफ़ औ काफिया रहे,तो ग़ज़ल होती है ,
बहर हो सुर ताल लय हो,वो ग़ज़ल होती है।
पाँच से ज्यादा हों शेर, तो ग़ज़ल होती है ,
बात खाशो-आम की हो, वो ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल की क्या बात यारो, वह तो ग़ज़ल होती है ,
ग़ज़ल की हो बात जिसमें, वो ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल कहने का भी इक अंदाजे ख़ास होता है,
कहने का अंदाज़ जुदा हो, तो ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल तो बस इक अंदाजे -बयाँ है श्याम ,
श्याम' तो जो कहदें, वो ग़ज़ल होती है॥
शेर मक्ते का रहे, तो ग़ज़ल होती है ।
रदीफ़ औ काफिया रहे,तो ग़ज़ल होती है ,
बहर हो सुर ताल लय हो,वो ग़ज़ल होती है।
पाँच से ज्यादा हों शेर, तो ग़ज़ल होती है ,
बात खाशो-आम की हो, वो ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल की क्या बात यारो, वह तो ग़ज़ल होती है ,
ग़ज़ल की हो बात जिसमें, वो ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल कहने का भी इक अंदाजे ख़ास होता है,
कहने का अंदाज़ जुदा हो, तो ग़ज़ल होती है।
ग़ज़ल तो बस इक अंदाजे -बयाँ है श्याम ,
श्याम' तो जो कहदें, वो ग़ज़ल होती है॥
वाह...................
जवाब देंहटाएंगज़ल भी ज्ञान भी..............
लाजवाब....
शुक्रिया.
धन्यवाद एक्सप्रेशन अच्छा है जी...
हटाएंBAHUT KHUB ||
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...रविकर..
हटाएंग़ज़ल तो बस इक अंदाजे -बयाँ है श्याम ,
जवाब देंहटाएंश्याम' तो जो कह दें, वो ग़ज़ल होती है॥
...वाह, वाह!...क्या बात है!
धन्यवाद अरुणा जी...
हटाएंवाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंउल्फ़त का असर देखेंगे!
धन्यवाद चन्द्रभूषण जी....सही कहा....
हटाएंउल्फ़त होती है तो गज़ल होती है।
वरना हर कविता सजल होती है।
वाह! जी वाह! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंउल्फ़त का असर देखेंगे!
वाह बहूत ही सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सन्तोष जी...आभार
हटाएं