दुर्घटना में घायल आदमी
पड़ा था बीच सड़क पर
सना अपने ही खून में.
दौड़ती कारें
बचकर निकल गयीं,
स्कूटर से उतर कर लोग
तमाशाइयों की भीड़ में
घुस कर देखते
पर बढ़ा नहीं कोई हाथ
उसे उठाने.
सड़क दुर्घटना में मरनेवालों की
संख्या एक और बढ़ गयी,
लेकिन गिनती नहीं हुई
उस इंसानियत की
जो उसके साथ ही मर गयी.
पड़ा था बीच सड़क पर
सना अपने ही खून में.
दौड़ती कारें
बचकर निकल गयीं,
स्कूटर से उतर कर लोग
तमाशाइयों की भीड़ में
घुस कर देखते
और आगे बढ़ जाते.
तड़पता रहा घायलपर बढ़ा नहीं कोई हाथ
उसे उठाने.
सड़क दुर्घटना में मरनेवालों की
संख्या एक और बढ़ गयी,
लेकिन गिनती नहीं हुई
उस इंसानियत की
जो उसके साथ ही मर गयी.
कैलाश शर्मा
मार्मिक सत्य...
जवाब देंहटाएंमेरे बलॉग का URL
http://madhurgunjan.blogspot.in/
बेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंदुखद एवं मार्मिक.....
सादर
अनु
http://allexpression.blogspot.in/
हटाएंये हमारे ब्लॉग का URL
मेरे ब्लोग्स के URL
जवाब देंहटाएं1.http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
2.http://batenkuchhdilkee.blogspot.in/
3.http://bachhonkakona.blogspot.in/
4.http://sharmakailashc.blogspot.in/
लेकिन गिनती नहीं हुई
जवाब देंहटाएंउस इंसानियत की
जो उसके साथ ही मर गयी.
----kya baat hai...sundar
संवेदनहीनता दिनोंदिन बढ़ रही है,यही सोच का विषय है !
जवाब देंहटाएंabhar
जवाब देंहटाएं