यह रचना गजल नही है
क्यों कि जैसे हिंदी में दोहा छंद के लिए एक निश्चित वर्ण चाहिए
उसी प्रकार गजल के लिए भी बहर मुकर्र (निश्चित} हैं
जैसे छंद भंग होने से दोहा नही कहा जा सकता वैसे ही हम बहर के बिना गजल किसी भी रचना को कैसे कह सकते हैं
बहर के साथ ही
देवनागरी में वर्ण की गिनती के नियम भी अलग प्रकार से हैं जो उर्दू में लागू नही होते
इस लिए इस प्रकार की रचनाये नव गीतिका हैं
क्यों कि गीत की लम्बी परम्परा यहाँ उपस्थित है गीतिका हरी गीतिका और नव गीतिका आदि जो गीत की परम्परा को आगे बढ़ती है कुछ ऐसी ही नव गीतिकाएं यहाँ प्रस्तुत करने का साहस कर रहा हूँ
नव गीतिकाएं
झूठ के आवरण सब बिखरते रहे
साँच की आंच से वे पिघलते रहे
खूब ऊँचे बनाये थे चाहे महल
नींव के बिन महल वे बिखरते रहे
हाथ आता कहाँ चाँद उन को यहाँ
मन ही मन में वे चाहे मचलते रहे
ओस की बूँद ज्यों २ गिरी फूल पर
फूल खिलते रहे और महकते रहे
जैसे २ बढ़ी खुद से खुद दूरियां
नैन और नक्श उन के निखरते रहे
देख लीं खूब दुनिया की रंगीनियाँ
रात ढलती रही दीप बुझते रहे
हम जहाँ से चले लौट आये वहीं
जिन्दगी भर मगर खूब चलते रहे ||
bahut hi sundar bhav hai .
जवाब देंहटाएंbndhuvr sneh ke liye hardik aabhar swikar kren
हटाएंsundar bhav
जवाब देंहटाएंsngita ji rchna ko sneh prdan kiya kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंsngita ji aap ne rchna ko sneh diya haardik aabhari hoon kropya swikar kren
हटाएंबहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......
जवाब देंहटाएंbndhu nirntr aap ka sath mil rha hai kripya hardik aabhar swikaren
हटाएंवाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,..प्रभावी रचना,..वेद जी
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
bndhuvr nirntr aap ka rchna ko sneh mil rha hai kripya hardik aabhar swikar kren
हटाएंबहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति.
जवाब देंहटाएंbhai swaai singh ji aap ka pyar yhan se jane nhi de rha vrna chlo un ki apni soch hai iishwr un ka bhi bhla kre
हटाएंaap ka aabhar vykt krta hoon swikar kren
.बेहतरीन पोस्ट ...आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत और भावमयी रचना....
जवाब देंहटाएंsharma ji aap ne sneh diya aabhari hoon sneh bnaye rhiye
हटाएंख़ूबसूरत रचना....यह गज़ल ही है....
जवाब देंहटाएंbndhu aap ne is rchna ke upr mera likhe huye mntvy smbhvt: dhyan nhi diya hai isi liye aap ise gzl kah rhe hain yh spsht: nv gitika hai ya hr rchna ko gzl khne kii yhan ksm khai hui hai
हटाएंydi aap ise gzl kh rhe hain to is kii bahar btaayen v us ka rooz btayen anytha ise nv gitika hi mane
बिलकुल नए अंदाज़ में...स्वाभाविक रचना !
जवाब देंहटाएंaap ka bdppn hai jo aap ne meri baat pr dhyan diya hai aabhar vykt krta hoon kripya swikar kren
हटाएंभाई जी, ये बहर व रूज़ बताने जैसी बेवकूफ़ी में हम नहीं पडते...जो गज़ल है..है....आप जो चाहें मानें कौन रोकने जा रहा है...
जवाब देंहटाएं---सब कविता है...सब कविता है....गाता चल..गुनुगुनाता चल...
बन्धुवर डा. श्याम गुप्त जी
हटाएंआप बार बार इस प्रकार प्रतिकिरिया देते है आप से एक बार फिर से निवेदन है की आप आगे इस टिप्पणी नहीं दे.
बिल्कुल सही है एसी टिप्पणी नही होनी चाहिये......क्रिया की प्रतिक्रिया होती है...किसी से नियमों की जानकारी जैसी बातें पूछने का कोई अर्थ नहीं...
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