बाबुल की गुडिया होती है बेटिया घर की लक्ष्मी होती है बेटिया
न जाने क्यों लोग चिडते है बेटिया से अरे ज्ञान का तो भंडार होती है बेटिया
जीवन का सार होती है बेटिया घर का नवकार होती है बेटिया
न जाने क्यों लोग शोषित करते है बेटिया को
अरे ममता की पहचान होती है बेटिया
फूलो की मुस्कान होती है बेटिया,आगनकी शान होती है बेटिया
न जाने क्यों लोग जन्म से पहले ही मार दिया जाता है बेटिया को
अरे लज्जा की पहचान होती है बेटिया
गिणों की खान होती है बेटिया उदारता की जन होती है बेटिया
न जाने क्यों लोग जिन्दा जला दिया जाता है बेटिया को
अरे पिता का तो सम्मान होती है बेटिया
ईश्वर का वरदान होती है बेटिया ईद का चाँद होती है बेटिया
न जाने क्यों लोग कोसते है बेटिया को
अरे बुलंदियों की पहचान होती है बेटिया
क्रोध का वार सहती है बेटिया,जीवन का आधार होती है बेटिया
न जाने क्यों लोग घर से निकल फेकते है बेटिया को
अरे स्वर्ग का द्वार होती है
दिल से निकल फेको बेटियों के प्रति नफ़रत को क्योकि
बलिदान व त्याग का भंडार होती है बेटिया
{ श्वरचित रचना }
रचना भेजने वाले{रचनाकार} श्री दिनेश सिंह राजपुरोहित जी
नोट :- अगर आप करते है सार्थक लेखन तो यह मंच है आपके लिए, आप अपनी रचनाओं को sawaisinghraj007@gmail.com YA 1blog.sabka@gmail.com पर मेल करें उन्हें यहाँ प्रकाशित किया जायेगा..
बहुत ही सुन्दर औए बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंReena Mauryaji abhar
हटाएंयदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने
जवाब देंहटाएंमुझे अपने अनुभव बताएं, जिससे कि मैं इसे और बेहतर करने का प्रयास कर सकूं!
** धन्यवाद **
सच हैं.............
जवाब देंहटाएंबेटियों सा कोई नहीं!!!!
सुंदर भाव....
अनु
sundar rachna
जवाब देंहटाएंबेटियाँ किसी से कमत्तर नही,
जवाब देंहटाएंकल्पना चावला बन कर भारत का नाम करगी,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
sundr sadhuvad
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है!
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