कृपा दृष्टि ईश्वर की आशीर्वाद बड़ों का ,
संचित पुण्य-प्रताप, कामना से पुरखों की |
पुत्र रत्न से अपना यह आँगन महकाया ,
शुभेच्छा ने आप सभी श्री-गुणी जनों की ||
बावा-दादी, नाना-नानी,बुआ, मौसी,
चाचा, मामा , ताई सबके राज दुलारे |
रखा गया है आज नाम इन चिरंजीव का,
हम वर्णन करते हैं उनके प्रिय गुण सारे ||
जब कोई भी नाम से उनके, उन्हें पुकारे ,
चंचल चपल चतुर नयनों से उन्हें निहारे |
बाव्वा, वाप्पा, बू उऊ... संगीत सुनाएँ ,
यही चाहते सदा रहें सब निकट हमारे ||
पापा घर आते ऊ ऊ, आ आ, एं एं से ,
करें शिकायत हाथ पैर को पटक पटक कर |
मम्मी ने जबरन दुद्धू था मुझे पिलाया,
आज नहीं दादी ने केला मुझे खिलाया ||
बावा नीचे आज लेगये मुझे घुमाने ,
मैं दिन भर हंस-हंस गाता हूँ विविध तराने |
मेरी भाषा कोई समझ नहीं पाता है,
इसीलिये बस मुझको रोना आजाता है ||
संचित पुण्य-प्रताप, कामना से पुरखों की |
पुत्र रत्न से अपना यह आँगन महकाया ,
शुभेच्छा ने आप सभी श्री-गुणी जनों की ||
बावा-दादी, नाना-नानी,बुआ, मौसी,
चाचा, मामा , ताई सबके राज दुलारे |
रखा गया है आज नाम इन चिरंजीव का,
हम वर्णन करते हैं उनके प्रिय गुण सारे ||
जब कोई भी नाम से उनके, उन्हें पुकारे ,
चंचल चपल चतुर नयनों से उन्हें निहारे |
बाव्वा, वाप्पा, बू उऊ... संगीत सुनाएँ ,
यही चाहते सदा रहें सब निकट हमारे ||
पापा घर आते ऊ ऊ, आ आ, एं एं से ,
करें शिकायत हाथ पैर को पटक पटक कर |
मम्मी ने जबरन दुद्धू था मुझे पिलाया,
आज नहीं दादी ने केला मुझे खिलाया ||
बावा नीचे आज लेगये मुझे घुमाने ,
मैं दिन भर हंस-हंस गाता हूँ विविध तराने |
मेरी भाषा कोई समझ नहीं पाता है,
इसीलिये बस मुझको रोना आजाता है ||
उत्कृष्ट रचना के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सोनू जी....
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति......आभार
जवाब देंहटाएंdhanyavaa सबाई सिन्घ जी,
हटाएंबहुत बढिया बाल गीत।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनोज जी...
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