यह सच है कि दीन- हीन में दीनानाथ बचते हैं।
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।!*आज का सुविचार!।*
*दूसरे व्यक्ति को उसके दुख से बाहर निकालने से बड़ा और बेहतर कोई काम नही!
दुनिया में आने वाले सभी अवतार/ सन्त महात्मा ने यही किया!*
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3 महीने पहले
उत्कृष्ट प्रस्तुति गुरूवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंवाह....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
आभार.
अनु
बहुत सुन्दर:-)
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंरक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
धन्यवाद धीरेन्द्र जी....जय हिन्दी जय नागरी...
हटाएंबेहतरीन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशील जी .....
हटाएंधन्यवाद रीना जी, कनेरी जे, रविकर व एक्सप्रेशन जी...आभार ..
जवाब देंहटाएं--हिन्दी की यह रेल न जाने चलते चलते क्यों रुक जाती....
धन्यवाद रीना जी, कनेरी जे, रविकर व एक्सप्रेशन जी...आभार ..
जवाब देंहटाएं--हिन्दी की यह रेल न जाने चलते चलते क्यों रुक जाती....