किस ने देखा राम हृदय की घनीभूत पीड़ा को
कह भी जो न सके किसी से उस गहरी पीड़ा को
क्या ये सब करुणा के बदले मिली राम के मन को
आदर्शों पर चल कर ही तो पाया इस पीड़ा को ||
मन करता राम तुम्हारे दुःख का अंश चुरा लूं
पहले ही क्या कम दुःख झेले कैसे तुम्हे पुकारूँ
फिर भी तुम करुणा निधन ही बने हुए हो अब भी
पर उस करुणा में कैसे मैं अपने कष्ट मिला दूं ||
राम तुम्हारा हृदय लौह धातु से अधिक कठिन है
पिघल सका न किसी अग्नि से कैसी मणि कठिन है
आई होगी बाढ़ हृदय में ढरके होंगे आंसू
शायद आँख रुकी न होगी बेशक हृदय कठिन है ||
किस से कहते राम व्यथा जो मन में उन के गहरी
आदर्शों की कैसे कैसे विमल पताका फहरी
इस से ही तो राम राम हैं राम नही कोई दूजा
बाद उन्होंने के धर्म आत्मा और नही कोई उतरी ||
माता सीता के श्री चरणों में
दो सांसों के लिए जिन्दगी क्या क्या झेल गई थी
पर्वत से टकरा सीने पर क्या क्या झेल गई थी
पर जब आंसूं गिरे धरा उन से बोझिल डोली
वरना सीता जैसी देवी क्या क्या झेल गई थी ||
बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबधाई आपको ।।
aap ko sri ram nvmi kii shubhkamnayen
हटाएंv hardik aabhar
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंhardik aabhar ke sath sri ram nvmi kii shubhkamnayen
हटाएंबहुत खूबसूरत....
जवाब देंहटाएंभगवन के कष्टों का तो किसी ने सोचा ही नहीं.....
मन करता राम तुम्हारे दुःख का अंश चुरा लूं
पहले ही क्या कम दुःख झेले कैसे तुम्हे पुकारूँ
फिर भी तुम करुणा निधन ही बने हुए हो अब भी
पर उस करुणा में कैसे मैं अपने कष्ट मिला दूं ||
बहुत सुन्दर..
अनु
hardik aabhar ke sath sri ram nvmi kii shubhkamnayen
हटाएंवाह ! ! ! ! ! बहुत खूब,
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति,....बधाई
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
MY RECENT POST ...फुहार....: बस! काम इतना करें....
बहुत खूबसूरत.सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं
जवाब देंहटाएंbndhu sri ram nvmi ki bhur 2 shubhkamnayen
हटाएंसुन्दर भाव, बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंhardik aabhar v sri ram nvmi kii hardik shubhkamnayen
हटाएंbndhu sri ram nvmi ki bhur 2 shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे ...राम को प्रश्नों की शूली से उतारने की सुन्दर कोशिश..
जवाब देंहटाएंbndhuvr bhgvan ram sbhi prshno se upr hain ve prsjnaatiit hain mera to un ke chrnon me shrdhamy nivedn bhr hai aur sooli jaise shbd to yhan nishchit vrjniy hain
हटाएंनहीं वेदव्यथित जी....काफ़ी समय से और इस सान्स्क्रतिक-सन्क्रान्ति काल में तो और भी अधिक... राम/क्रिष्ण को विरोधियों द्वारा व स्वजनों द्वारा भी अग्यानतावश -विविध प्रश्नों/ दोषारोपणों की शूलियों पर चढाया जा रहा है ...और निश्चय ही साहित्यकारों का युग-दायित्व है कि उचित विवेचन-विश्लेषण से इनका खन्डन किया जाय---
हटाएं--- मनुष्य रूप में कोई भी प्रश्नातीत नहीं है...ईश्वर भी नहीं...यही तो ईश्वर की मानव-लीला है, अवतारवाद की आवश्यकता ....संसार को उचित निर्देश हित...
-----इसमें कुछ भी वर्जनीय नहीं है ...
kripya apna nmbr den ya gmail pr varta kren to jyada suvidha jnk hoga kyon ki bhgvan ram ke smy to is smy ke rakshson se bhynkr rakshas the un se bhi un ka kuchh nhi bigda to ye kya kr lenge han hm kmjor ho rhe hain sri ram ka chritr nhi koi aakshep krne vala to un ke chritr ka ek ansh bhi poora nhi kr skta aur soorj pr bhi thookne vale hai is duniya main to
हटाएंmera mail hai dr.vedvyathit@gmail.com