हर हालत में दिल और दिमाग ठंडा रखे |
कामना कभी भी सुखी,प्रसन्न और हसने नही देती ||
समझो,जो कुछ परमात्मा ने दिया है |
बहुत दिया है,जरुरत से ज्यादा दिया है ||
कही तो ठहरना होगा ,कही तो रुकना होगा |
कही तो "बस" कहना होगा ||
संतोष करके तो देखो ,जीवन धन्य हो जायेगा |
जीवन में संतोष रखने वाले हमेशा सुखी रहते है ||
संतोष का फल हमेसा मीठा होता है |
धन्यवाद् का स्वर भी उठने दो ||
त्रप्ति की बंशी भी बजने दो ,कभी हंसो भी तो |
संतोष रखने से मन को परम शांति मिलाती है ||
कामना कभी भी सुखी,प्रसन्न और हसने नही देती ||
समझो,जो कुछ परमात्मा ने दिया है |
बहुत दिया है,जरुरत से ज्यादा दिया है ||
कही तो ठहरना होगा ,कही तो रुकना होगा |
कही तो "बस" कहना होगा ||
संतोष करके तो देखो ,जीवन धन्य हो जायेगा |
जीवन में संतोष रखने वाले हमेशा सुखी रहते है ||
संतोष का फल हमेसा मीठा होता है |
धन्यवाद् का स्वर भी उठने दो ||
त्रप्ति की बंशी भी बजने दो ,कभी हंसो भी तो |
संतोष रखने से मन को परम शांति मिलाती है ||
रचना भेजने वाले {संकलनकर्ता}
श्री दिनेश सिंह राजपुरोहित भिंडाकुआ
Dinesh raj purohit <rajpurohitdinesh60@gmail.com>
नोट :- अगर आप करते है सार्थक लेखन तो यह मंच है आपके लिए, आप अपनी रचनाओं को sawaisinghraj007@gmail.com YA 1blog.sabka@gmail.com पर मेल करें उन्हें यहाँ प्रकाशित किया जायेगा..
बढ़िया...........................
जवाब देंहटाएंअनु
श्री दिनेश सिंह जी सुंदर रचना के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण....हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छा है ............आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या रचना
हटाएंsundr pryas sadhuvad
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...
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