उनका क्रेज इस कदर था कि लड़कियों ने उनके फोटोग्राफ से ही शादी कर ली थी और कई तो अपनी उँगली काटकर खून से ही माँग भर लेती थीं, जब उन्होंने शादी की तो कइयों ने आत्महत्या का प्रयास भी किया। एक बार जब वे बीमार पड़े, तब एक कॉलेज के ग्रुप ने उनकी तस्वीर पर बर्फ की थैली से सिंकाई की ताकि बुखार जल्दी उतर जाए, एक बार उनकी आँख में इंफेक्शन हो गया तो लड़कियों ने आईड्रॉप खरीदकर उनके पोस्टर पर ही लगाया!जी हाँ ये लोकप्रियता थी भारत के पहले सुपर स्टार ''राजेश खन्ना '' की.
29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना है. 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था. इसके बाद राज, बहारों के सपने, औरत के रूप जैसी कई फिल्में उन्होंने की लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली. इसके बाद एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में देकर उन्होंने हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का तमगा अपने नाम किया.अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।
बचपन में रवि कपूर उनके क्लासमेट थे, जिनको दुनिया ने जीतेंद्र के नाम से जाना। जीतेन्द्र और राजेश खन्ना स्कूल में साथ पढ़ चुके हैं।जतिन स्कूल और कॉलेज के दिनों में थिएटर में एक्टिव रहते थे और उन्होंने इंटर कॉलेज ड्रामा कंपीटिशन जीते। बाद में जीतेंद्र और जतिन आगे साथ-साथ कॉलेज में पढ़े। जीतेंद्र जब पहली बार फिल्म ऑडिशन देने गए तो जतिन ने उनको ट्रेनिंग दी थी। जतिन खन्ना के अंकल ने उनका नाम राजेश खन्ना रखने की सलाह दी जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री ज्वाइन करने का फैसला किया।
वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्र्षो तक गुलजार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे। जब वे चरम पर थे तब फिल्म में उनका होना फिल्म के हिट होने की गारंटी होती थी।राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया, लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई।किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।
डिम्पल राजेश की लव स्टोरी
अहमदाबाद में आयोजित एक फिल्म समारोह में शामिल होने के लिए मुंबई के बहुत से नामी सितारे बुलाए गए थे। इन्हें लाने के लिए आयोजकों ने एक चार्टर्ड प्लेन का प्रबंध किया था। सितारों की इस टोली में राजेश खन्ना भी शामिल थे। प्लेन में राजेश खन्ना सुपरस्टार की हैसियत से मौजूद थे।डिम्पल राजकपूर की खोज थीं, इसलिए उन्हें भी इस टोली में जगह मिली थी। जब सभी कलाकार विमान में बैठे, तो डिम्पल के बगल में सीट खाली थी। राजेश ने उनसे पूछा, क्या मै इस सीट पर बैठ सकता हूँ ? श्योर सर, डिम्पल ने जवाब दिया। दरअसल, डिम्पल के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती थी कि बॉलीवुड का सुपरस्टार प्लेन में मौजूद अन्य नामी हीरोइनों को छोड़कर उनके पास बैठे! विमान के इस साथ ने दोनों पर जादू जैसा असर किया। राजेश के बारे में तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन डिम्पल के जेहन में तो राजेश जैसे बस गए थे। फिल्म समारोह के दौरान दोनों की बराबर मुलाकातें होती रहीं, लेकिन मुंबई पहुंचने के बाद मेल-मुलाकातें बढ़ गर्इं। हालांकि वे रेस्टोरेंट या क्लब के बदले देर रात समुद्र तट पर मिलते थे, भीड़ से दूर और रोशनी से परे। ऐसी ही पूनम की एक रात
समुंदर किनारे चांदनी रात में डिम्पल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिम्पल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे डिम्पल ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी।राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया ,धूमधाम से सुपर स्टार की बारात निकली। डिम्पल के पिता के आवास ‘जलमहल’ में शानदार रिसेप्शन हुआ। फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग इस शादी में शामिल हुए थे। खास बात यह रही कि राजेश-डिंपल की शादी की एक छोटी सी फिल्म भी उस समय देश भर के थिएटर्स में फिल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।
और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने।हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। अलग होने के बावजूद मुसीबत में हमेशा डिम्पल ने राजेश का साथ दिया। हाल ही में वे बीमार हुए तो डिम्पल ने उनकी सेवा की। उनका चुनाव प्रचार भी किया।
राजेश खन्ना की लाइफ में टीना मुनीम भी आईं। एक जमाने में राजेश ने कहा भी था कि वे और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं। उनकी जिंदगी में टीना मुनीम के आने से 1984 में डिंपल उनसे अलग हो गईं। लेकिन दोनों के बीच तलाक नहीं हो सका। 80 के दशक में टीना राजेश खन्ना के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहीं। टीना के बॉलीवुड छोड़ने के बाद डिंपल फिर से उनके करीब आईं। ऐसा लगा जैसे कि राजेश और डिंपल ने एक-दूसरे के बीच रहे गिले-शिकवे को भुला दिया। हालांकि अब डिम्पल और राजेश खन्ना एक लंबी जुदाई के बाद दोनों अब एक बार फिर बुढ़ापे में साथ-साथ हुए।
राजेश खन्ना की लोकप्रियता
करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया।1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए.राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी। 1969 में रिलीज हुई आराधना और दो रास्ते की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे शिखर पर जा बैठे। उन्हें सुपरस्टार घोषित कर दिया गया और लोगों के बीच उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई। सुपरस्टार के सिंहासन पर राजेश खन्ना भले ही कम समय के लिए विराजमान रहे, लेकिन यह माना जाता है कि वैसी लोकप्रियता किसी को हासिल नहीं हुई जो राजेश को हासिल हुई थी।लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय हुए। लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी कर ली। कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी। स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी। लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी। महिलाएँ ट्रैफिक सिग्नल पर उनकी कार के रुकने का इंतजार करती थीं ताकि उन्हें देख सकें। कार के रुकते ही उसके शीशों पर किस किया करती थीं। जब उनकी सफेद कार उनके कंपाउंड में वापस आती थी तो वह गुलाबी हो चुकी होती थी! संवाद अदायगी के अपने अलहदा अंदाज और छेड़ती आँखों से वे जो जादू परदे पर पैदा करते थे उसका दीवाना पूरा हिन्दुस्तान था।
निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे। पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्दगिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके।अपने प्रशंसकों के बीच, खासकर महिलाओं के बीच जो लोकप्रियता राजेश खन्ना ने पाई वह और कोई नहीं पा सका।हर लड़की उनमें अपना दोस्त, प्रेमी और पति देखती थी। उनका सुंदर, सलोना चेहरा सभी के दिल में उतर जाता था।
उनका क्रेज इस कदर था कि लड़कियों ने उनके फोटोग्राफ से ही शादी कर ली थी और कई तो अपनी उँगली काटकर खून से ही माँग भर लेती थीं! जब राजेश खन्ना ने डिंपल से शादी की तो कइयों ने आत्महत्या का प्रयास भी किया। एक बार का वाकया है जब वे बीमार पड़े। तब एक कॉलेज के ग्रुप ने उनकी तस्वीर पर बर्फ की थैली से सिंकाई की ताकि बुखार जल्दी उतर जाए! एक बार उनकी आँख में इंफेक्शन हो गया तो लड़कियों ने आईड्रॉप खरीदकर उनके पोस्टर पर ही लगाया!
राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने हो गए।राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्त्ते खूब प्रसिद्ध हुए और कई लोगों ने उनके जैसे कुर्त्ते पहने। आराधना, सच्चा झूठा, कटी पतंग, हाथी मेरे साथी, मेहबूब की मेहंदी, आनंद, आन मिलो सजना, आपकी कसम जैसी फिल्मों ने आय के नए रिकॉर्ड बनाए। आनंद फिल्म राजेश खन्ना के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई।
शर्मिला और मुमताज, जो कि राजेश की लोकप्रियता की गवाह रही हैं, का कहना है कि लड़कियों के बीच राजेश जैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी। इस बात से राजेश खन्ना पूरी तरह वाकिफ थे कि उनकी लोकप्रियता किस मुकाम तक पहुँच चुकी है... और वे स्वयं को आत्ममुग्ध होने से नहीं बचा पाए। सफलता के शीर्ष पर यदि कोई आपका सबसे बड़ा शत्रु होता है तो वह और कोई नहीं आप ही होते हैं। यही बात काका के लिए नुकसानदेह रही। इस बात का जब उन्हें पता चला तब तक वह दौर पूरी तरह से खत्म हो चुका था। जिस ग्लैमर को उन्होंने हासिल किया वही उनके लिए नुकसानदेह साबित हुआ।
अपनी जीवनशैली के कारण भी वे काफी विवादों में रहे। इसी कारण उन्हें अच्छी फिल्में मिलना बंद हो गईं। नाम के नशे ने उनके काम पर असर डाला। वे जब कहीं छुट्टियाँ मनाने जाते थे तो अपने साथ दोस्तों की फौज लेकर जाते थे। उन्हें हमेशा लोगों से घिरा रहना और आकर्षण का केन्द्र बना रहना पसंद था।कुछ लोग राजेश खन्ना के अहंकार और चमचों से घिरे रहने की वजह को उनकी असफलता का कारण मानते हैं। बाद राजेश खन्ना ने कई फिल्में की, लेकिन सफलता की वैसी कहानी वे दोहरा नहीं सके। राजेश ने उस समय कई महत्वपूर्ण फिल्में ठुकरा दी, जो बाद में अमिताभ को मिली। यही फिल्में अमिताभ के सुपरस्टार बनने की सीढ़ियां साबित हुईं। यही राजेश के पतन का कारण बना।राजेश खन्ना ने श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेअर पुरस्कार तीन बार जीता और चौदह बार वे नॉमिनेट हुए। वर्तमान दौर के सुपरस्टार शाहरुख खान का कहना है कि राजेश ने अपने जमाने में जो लोकप्रियता हासिल की थी, उसे कोई नहीं छू सकता है।
उनकी बेटी ट्विंकल खन्ना इंटीरियर डेकोरेटर हैं और फिल्म एक्ट्रेस भी रही हैं। अक्षय कुमार से उनकी शादी हुई है। छोटी बेटी का नाम रिंकी खन्ना है।
मगर आज बदलता समय चंद दिनों पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अस्पताल में भर्ती थे , लेकिन बॉलीवुड की कोई भी बड़ी हस्ती उन्हें देखने के लिये नहीं पहुंची थीं.सिर्फ अभिनेत्री रीनारॉय, समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह, उनकी मित्र अनीता आडवाणी और उनकी पूर्व प्रेमिका अंजू महेन्द्रू ,संगीतकार इस्माइल दरबार,उनकी पत्नी डिंपल, बेटी टिवंकल और रिकी और दामाद अक्षय कुमार ही उनको देखने पहुंचे थे.राजेश खन्ना जिसने बॉलीवुड को एक नयी पहचान दी.जिनके दौर में कलाकार उनके आगे पीछे घूमते नज़र आते थे.निर्माता ,निर्देशक उनके ऑफिस के चक्कर लगाते थे ,मगर आज उम्र के इस पड़ाव में कोई उन्हें देखने नही आया ,ये बेहद अफ़सोस जनक बात है.
21 जून को मुंबई के कार्टर रोड स्थित अपने बंगले 'आशीर्वाद' से हाथ हिला कर अपने प्रशंसकों का अभिवादन किया था।कामयाबी के शिखर तक पहुँचना तो ज्यादा मुश्किल नहीं होता पर वहाँ टिके रहना अधिक कठिन है। यह बात राजेश खन्ना के मामले में बिलकुल फिट बैठती है। ऐसा कहकर आलोचना नहीं की जा रही है बल्कि दुनिया का दस्तूर ही यह है। राजेश खन्ना गुरु दत्त, मीना कुमारी और गीता बाली को अपना आइडल मानते थे। दिलीप कुमार, राजकपूर, देव आनंद और शम्मी कपूर के बहुत बड़े फैन थे।आखिर में सिर्फ इनकी फेमेली ही इनका साथ निभा पाई.बुढ़ापे और बीमारी के दिनों में डिम्पल का लौट आना.अक्षय कुमार जैसा दामाद ,टिवंकल और रिंकी ,अक्षय ट्विंकल के बच्चे ,यही सब कुछ आज राजेश खन्ना की जागीर है.
(डियर रीडर्स , राजेश खन्ना की जीवनी पर ये पोस्ट मैंने कई जगह से आर्टिकल्स जमा करने के बाद तरतीब दी है.लिहाजा ये पोस्ट उन तमाम लोगों को समर्पित जहाँ जहाँ से मुझे इसके लिए मदद मिली.)
''आपको ये पोस्ट कैसी लगी ? अपनी राय निचे कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.और अगर आपको ''एक ब्लॉग सबका'' पसंद आई ,तो आज ही ज्वाइन कर लीजिये ,और इमेल्स के जरिये नई पोस्ट्स प्राप्त कीजिये.
''आमिर दुबई.,,,
29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना है. 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था. इसके बाद राज, बहारों के सपने, औरत के रूप जैसी कई फिल्में उन्होंने की लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली. इसके बाद एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में देकर उन्होंने हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का तमगा अपने नाम किया.अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।
बचपन में रवि कपूर उनके क्लासमेट थे, जिनको दुनिया ने जीतेंद्र के नाम से जाना। जीतेन्द्र और राजेश खन्ना स्कूल में साथ पढ़ चुके हैं।जतिन स्कूल और कॉलेज के दिनों में थिएटर में एक्टिव रहते थे और उन्होंने इंटर कॉलेज ड्रामा कंपीटिशन जीते। बाद में जीतेंद्र और जतिन आगे साथ-साथ कॉलेज में पढ़े। जीतेंद्र जब पहली बार फिल्म ऑडिशन देने गए तो जतिन ने उनको ट्रेनिंग दी थी। जतिन खन्ना के अंकल ने उनका नाम राजेश खन्ना रखने की सलाह दी जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री ज्वाइन करने का फैसला किया।
वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया। वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्र्षो तक गुलजार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है।राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया।हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे। जब वे चरम पर थे तब फिल्म में उनका होना फिल्म के हिट होने की गारंटी होती थी।राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया, लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई।किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फिल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे।
डिम्पल राजेश की लव स्टोरी
अहमदाबाद में आयोजित एक फिल्म समारोह में शामिल होने के लिए मुंबई के बहुत से नामी सितारे बुलाए गए थे। इन्हें लाने के लिए आयोजकों ने एक चार्टर्ड प्लेन का प्रबंध किया था। सितारों की इस टोली में राजेश खन्ना भी शामिल थे। प्लेन में राजेश खन्ना सुपरस्टार की हैसियत से मौजूद थे।डिम्पल राजकपूर की खोज थीं, इसलिए उन्हें भी इस टोली में जगह मिली थी। जब सभी कलाकार विमान में बैठे, तो डिम्पल के बगल में सीट खाली थी। राजेश ने उनसे पूछा, क्या मै इस सीट पर बैठ सकता हूँ ? श्योर सर, डिम्पल ने जवाब दिया। दरअसल, डिम्पल के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती थी कि बॉलीवुड का सुपरस्टार प्लेन में मौजूद अन्य नामी हीरोइनों को छोड़कर उनके पास बैठे! विमान के इस साथ ने दोनों पर जादू जैसा असर किया। राजेश के बारे में तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन डिम्पल के जेहन में तो राजेश जैसे बस गए थे। फिल्म समारोह के दौरान दोनों की बराबर मुलाकातें होती रहीं, लेकिन मुंबई पहुंचने के बाद मेल-मुलाकातें बढ़ गर्इं। हालांकि वे रेस्टोरेंट या क्लब के बदले देर रात समुद्र तट पर मिलते थे, भीड़ से दूर और रोशनी से परे। ऐसी ही पूनम की एक रात
समुंदर किनारे चांदनी रात में डिम्पल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिम्पल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे डिम्पल ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी।राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया ,धूमधाम से सुपर स्टार की बारात निकली। डिम्पल के पिता के आवास ‘जलमहल’ में शानदार रिसेप्शन हुआ। फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग इस शादी में शामिल हुए थे। खास बात यह रही कि राजेश-डिंपल की शादी की एक छोटी सी फिल्म भी उस समय देश भर के थिएटर्स में फिल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।
और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने।हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फिल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। अलग होने के बावजूद मुसीबत में हमेशा डिम्पल ने राजेश का साथ दिया। हाल ही में वे बीमार हुए तो डिम्पल ने उनकी सेवा की। उनका चुनाव प्रचार भी किया।
राजेश खन्ना की लाइफ में टीना मुनीम भी आईं। एक जमाने में राजेश ने कहा भी था कि वे और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं। उनकी जिंदगी में टीना मुनीम के आने से 1984 में डिंपल उनसे अलग हो गईं। लेकिन दोनों के बीच तलाक नहीं हो सका। 80 के दशक में टीना राजेश खन्ना के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहीं। टीना के बॉलीवुड छोड़ने के बाद डिंपल फिर से उनके करीब आईं। ऐसा लगा जैसे कि राजेश और डिंपल ने एक-दूसरे के बीच रहे गिले-शिकवे को भुला दिया। हालांकि अब डिम्पल और राजेश खन्ना एक लंबी जुदाई के बाद दोनों अब एक बार फिर बुढ़ापे में साथ-साथ हुए।
राजेश खन्ना की लोकप्रियता
करीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया।1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए.राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी। 1969 में रिलीज हुई आराधना और दो रास्ते की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे शिखर पर जा बैठे। उन्हें सुपरस्टार घोषित कर दिया गया और लोगों के बीच उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई। सुपरस्टार के सिंहासन पर राजेश खन्ना भले ही कम समय के लिए विराजमान रहे, लेकिन यह माना जाता है कि वैसी लोकप्रियता किसी को हासिल नहीं हुई जो राजेश को हासिल हुई थी।लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय हुए। लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी कर ली। कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी। स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी। लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी। महिलाएँ ट्रैफिक सिग्नल पर उनकी कार के रुकने का इंतजार करती थीं ताकि उन्हें देख सकें। कार के रुकते ही उसके शीशों पर किस किया करती थीं। जब उनकी सफेद कार उनके कंपाउंड में वापस आती थी तो वह गुलाबी हो चुकी होती थी! संवाद अदायगी के अपने अलहदा अंदाज और छेड़ती आँखों से वे जो जादू परदे पर पैदा करते थे उसका दीवाना पूरा हिन्दुस्तान था।
निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे। पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्दगिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके।अपने प्रशंसकों के बीच, खासकर महिलाओं के बीच जो लोकप्रियता राजेश खन्ना ने पाई वह और कोई नहीं पा सका।हर लड़की उनमें अपना दोस्त, प्रेमी और पति देखती थी। उनका सुंदर, सलोना चेहरा सभी के दिल में उतर जाता था।
उनका क्रेज इस कदर था कि लड़कियों ने उनके फोटोग्राफ से ही शादी कर ली थी और कई तो अपनी उँगली काटकर खून से ही माँग भर लेती थीं! जब राजेश खन्ना ने डिंपल से शादी की तो कइयों ने आत्महत्या का प्रयास भी किया। एक बार का वाकया है जब वे बीमार पड़े। तब एक कॉलेज के ग्रुप ने उनकी तस्वीर पर बर्फ की थैली से सिंकाई की ताकि बुखार जल्दी उतर जाए! एक बार उनकी आँख में इंफेक्शन हो गया तो लड़कियों ने आईड्रॉप खरीदकर उनके पोस्टर पर ही लगाया!
राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने हो गए।राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्त्ते खूब प्रसिद्ध हुए और कई लोगों ने उनके जैसे कुर्त्ते पहने। आराधना, सच्चा झूठा, कटी पतंग, हाथी मेरे साथी, मेहबूब की मेहंदी, आनंद, आन मिलो सजना, आपकी कसम जैसी फिल्मों ने आय के नए रिकॉर्ड बनाए। आनंद फिल्म राजेश खन्ना के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई।
शर्मिला और मुमताज, जो कि राजेश की लोकप्रियता की गवाह रही हैं, का कहना है कि लड़कियों के बीच राजेश जैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी। इस बात से राजेश खन्ना पूरी तरह वाकिफ थे कि उनकी लोकप्रियता किस मुकाम तक पहुँच चुकी है... और वे स्वयं को आत्ममुग्ध होने से नहीं बचा पाए। सफलता के शीर्ष पर यदि कोई आपका सबसे बड़ा शत्रु होता है तो वह और कोई नहीं आप ही होते हैं। यही बात काका के लिए नुकसानदेह रही। इस बात का जब उन्हें पता चला तब तक वह दौर पूरी तरह से खत्म हो चुका था। जिस ग्लैमर को उन्होंने हासिल किया वही उनके लिए नुकसानदेह साबित हुआ।
अपनी जीवनशैली के कारण भी वे काफी विवादों में रहे। इसी कारण उन्हें अच्छी फिल्में मिलना बंद हो गईं। नाम के नशे ने उनके काम पर असर डाला। वे जब कहीं छुट्टियाँ मनाने जाते थे तो अपने साथ दोस्तों की फौज लेकर जाते थे। उन्हें हमेशा लोगों से घिरा रहना और आकर्षण का केन्द्र बना रहना पसंद था।कुछ लोग राजेश खन्ना के अहंकार और चमचों से घिरे रहने की वजह को उनकी असफलता का कारण मानते हैं। बाद राजेश खन्ना ने कई फिल्में की, लेकिन सफलता की वैसी कहानी वे दोहरा नहीं सके। राजेश ने उस समय कई महत्वपूर्ण फिल्में ठुकरा दी, जो बाद में अमिताभ को मिली। यही फिल्में अमिताभ के सुपरस्टार बनने की सीढ़ियां साबित हुईं। यही राजेश के पतन का कारण बना।राजेश खन्ना ने श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेअर पुरस्कार तीन बार जीता और चौदह बार वे नॉमिनेट हुए। वर्तमान दौर के सुपरस्टार शाहरुख खान का कहना है कि राजेश ने अपने जमाने में जो लोकप्रियता हासिल की थी, उसे कोई नहीं छू सकता है।
उनकी बेटी ट्विंकल खन्ना इंटीरियर डेकोरेटर हैं और फिल्म एक्ट्रेस भी रही हैं। अक्षय कुमार से उनकी शादी हुई है। छोटी बेटी का नाम रिंकी खन्ना है।
मगर आज बदलता समय चंद दिनों पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अस्पताल में भर्ती थे , लेकिन बॉलीवुड की कोई भी बड़ी हस्ती उन्हें देखने के लिये नहीं पहुंची थीं.सिर्फ अभिनेत्री रीनारॉय, समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह, उनकी मित्र अनीता आडवाणी और उनकी पूर्व प्रेमिका अंजू महेन्द्रू ,संगीतकार इस्माइल दरबार,उनकी पत्नी डिंपल, बेटी टिवंकल और रिकी और दामाद अक्षय कुमार ही उनको देखने पहुंचे थे.राजेश खन्ना जिसने बॉलीवुड को एक नयी पहचान दी.जिनके दौर में कलाकार उनके आगे पीछे घूमते नज़र आते थे.निर्माता ,निर्देशक उनके ऑफिस के चक्कर लगाते थे ,मगर आज उम्र के इस पड़ाव में कोई उन्हें देखने नही आया ,ये बेहद अफ़सोस जनक बात है.
21 जून को मुंबई के कार्टर रोड स्थित अपने बंगले 'आशीर्वाद' से हाथ हिला कर अपने प्रशंसकों का अभिवादन किया था।कामयाबी के शिखर तक पहुँचना तो ज्यादा मुश्किल नहीं होता पर वहाँ टिके रहना अधिक कठिन है। यह बात राजेश खन्ना के मामले में बिलकुल फिट बैठती है। ऐसा कहकर आलोचना नहीं की जा रही है बल्कि दुनिया का दस्तूर ही यह है। राजेश खन्ना गुरु दत्त, मीना कुमारी और गीता बाली को अपना आइडल मानते थे। दिलीप कुमार, राजकपूर, देव आनंद और शम्मी कपूर के बहुत बड़े फैन थे।आखिर में सिर्फ इनकी फेमेली ही इनका साथ निभा पाई.बुढ़ापे और बीमारी के दिनों में डिम्पल का लौट आना.अक्षय कुमार जैसा दामाद ,टिवंकल और रिंकी ,अक्षय ट्विंकल के बच्चे ,यही सब कुछ आज राजेश खन्ना की जागीर है.
सुपरस्टार राजेश खन्ना का निधन
‘बाबू मोशाय, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर ऊपर वाले के हाथ में है, कौन कब कहां उठेगा, ये तो कोई नहीं जानता.’ जिंदादिली की नयी परिभाषा गढने वाले बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना अब नहीं रहे. आज 18-07-2012 दोपहर को राजेश खन्ना का निधन हो गया.राजेश खन्ना का लंबी बीमारी के बाद मुंबई स्थित उनके आवास पर निधन हो गया है। उनके निधन की खबर आते ही उनके घर के बाहर फैन्स का जमावड़ा लगना शुरू हो गया, राजेश खन्ना के निधन की खबर सुन बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गयी है| सब उनके अंतिम दर्शन के लिए मुंबई में उनके आवास 'आशीर्वाद' पहुंचे.राजेश इंडस्ट्री में हमेशा ही एक जिंदादिल रोमैंटिक हीरो के रूप में याद किए जाएंगे।
(डियर रीडर्स , राजेश खन्ना की जीवनी पर ये पोस्ट मैंने कई जगह से आर्टिकल्स जमा करने के बाद तरतीब दी है.लिहाजा ये पोस्ट उन तमाम लोगों को समर्पित जहाँ जहाँ से मुझे इसके लिए मदद मिली.)
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''आमिर दुबई.,,,
श्री राजेश खन्नाजी को शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि ...सवाई
जवाब देंहटाएंकाका राजेश खन्ना के निधन के साथ बौलीवुड में एक ऐसी जगह रिक्त हुई है जिसे कोई भर नहीं सकता |ईश्वर उनके परिवार को शान्ति प्रदान करे |मेरी विनम्ब्र श्रद्धान्जली उस महान कलाकार को |
जवाब देंहटाएंमहानायक राजेश खन्ना जी को विनम्र श्रद्धांजलि.......
जवाब देंहटाएंमेरी राजेश खन्ना जी को विनम्र श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंश्रद्धा सुमन...........
जवाब देंहटाएंअनु
वालीवुड के महानायक राजेश खन्ना जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंमहानायक को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंकाका का वो कहकहा, कथ्यों का आनंद ।
जवाब देंहटाएंवर्षों से पड़ता रहा, मंद मंद अब बंद ।
मंद मंद अब बंद, सुपर-स्टार बुलवाये ।
तारा मंडल बड़ा, गगन पर प्रभु जी लाये ।
चमकोगे अनवरत, दिखोगे छैला बांका ।
खूब करो आनंद, प्रेम नगरी में काका ।।
श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंमहानायक को विनम्र श्रद्धांजलि...
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति हेतु आपका आभार!
"आनन्द" मरा नही करते
जवाब देंहटाएंअनन्त "सफ़र" पर चल देते हैं
फिर चाहे "दाग " लगाये कोई
"अमर प्रेम" किया करते हैं
"आराधना " का दीया बन
"रोटी " की ललक मे
"अवतार " लिया करते हैं
एक बेजोड शख्सियत
जो आँख मे आँसू ले आये
वो ही तो अदाकारी का परचम लहराये ……नमन !
स्व॰ राजेश खन्ना जी को पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि – देखिये हमें मालूम है ... यू हेट टीयर्स ... पर क्या करें ... आज इन पर हमारा ज़ोर नहीं ... ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंराजेश खन्ना जी को श्रद्धांजलि
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