वेद उपनिषद औ पुराण सब,
बच्चो ! शास्त्र हमारे |
सब जग से प्राचीन, ज्ञान के-
ये भण्डार हैं न्यारे |
नीति धर्म व्यवहार व दर्शन,
बहु-विधि ज्ञान-विज्ञान |
ज्ञान-रूप जितने हैं होते,
सबका यहाँ विधान |
जग में जो कुछ ज्ञान कहीं है,
वह वेदों में समाया |
वेदों में जो नहीं मिला है,
जग में कहीं न पाया |
चार वेद हैं आदि-शास्त्र, बस-
सब उनकी शाखाएं |
ब्रह्मा जी के चार मुखों से ,
निकले, तुम्हें बताएं |
ऋक यजु साम अथर्व वेद हैं,
चारों वेद के नाम |
इनपर चलाकर हुआ जगद्गुरु ,
भारत अपना महान ||
बच्चो ! शास्त्र हमारे |
सब जग से प्राचीन, ज्ञान के-
ये भण्डार हैं न्यारे |
नीति धर्म व्यवहार व दर्शन,
बहु-विधि ज्ञान-विज्ञान |
ज्ञान-रूप जितने हैं होते,
सबका यहाँ विधान |
जग में जो कुछ ज्ञान कहीं है,
वह वेदों में समाया |
वेदों में जो नहीं मिला है,
जग में कहीं न पाया |
चार वेद हैं आदि-शास्त्र, बस-
सब उनकी शाखाएं |
ब्रह्मा जी के चार मुखों से ,
निकले, तुम्हें बताएं |
ऋक यजु साम अथर्व वेद हैं,
चारों वेद के नाम |
इनपर चलाकर हुआ जगद्गुरु ,
भारत अपना महान ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब||
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना:-)
वेद उपनिषद औ पुराण सब,
जवाब देंहटाएंबच्चो ! शास्त्र हमारे |
सब जग से प्राचीन, ज्ञान के-
ये भण्डार हैं न्यारे |
सुंदर भाव बेहतरीन रचना..सुंदर अभिव्यक्ति.
एक जरूरी कविता बच्चों के लिये !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !