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सोमवार, 11 मार्च 2013

श्याम स्मृति----बहुत जानते हैं, हम..डा श्याम गुप्त ..



 बहुत जानते हैं, हम.
          बच्चे बहुत कुछ जान लेते हैं। युवा उनसे अधिक ही जानते हैं। बड़े उनसे भी अधिक जानते हैं। ज्ञानी और बहुत कुछ जानते हैं।
          सामान्य जन जानते हैं, परन्तु विशेषज्ञ,  विशिष्ट विषय मैं उनसे भी अधिक जानते हैं। परम ज्ञानी, सच्चे संत , आत्मज्ञानी  त्रिकालदर्शी होते हैं।
      सबकुछ जानने वाला, सर्वज्ञ कोई व्यक्ति नही होता सबकुछ एकमात्र, ईश्वर ही जानता है।  ईश्वर,- ह्रदय, आत्मतत्व मैं बसता है, अतः स्वयं को पहचानें, ईश्वरीय गुण- परमार्थ को धारण करें

5 टिप्‍पणियां:

  1. सही कथन्……
    "ईश्वरीय गुण- परमार्थ को धारण करें"
    परमार्थ ही परम अर्थ है वही परम सत्य है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद सुज्ञजी...परमार्थ बिना नहीं मोक्ष मिले, नहिं परमानंद न कृष्ण मुरारी |

      हटाएं
  2. बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद सुज्ञजी....परमार्थ बिना नहीं मोक्ष मिले, नहिं परमानंद न कृष्ण मुरारी |

    जवाब देंहटाएं

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