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    2 दिन पहले

शनिवार, 12 मई 2012

---माँ.....डा श्याम गुप्त....





            ---माँ......

जितने भी पदनाम सात्विक ,
उनके पीछे  'मा' होता है |
चाहे धर्मात्मा,  महात्मा,
आत्मा हो अथवा परमात्मा ||

जो महान सत्कर्म जगत के,
उनके पीछे 'माँ'होती है|
चाहे हो वह माँ कौसल्या,
जीजाबाई या यशुमति माँ||

पूर्ण शब्द माँ, पूर्ण ग्रन्थ माँ ,
शिशुवाणी का प्रथम शब्द माँ |
जीवन की हरएक सफलता,
की पहली सीढ़ी होती माँ ||

माँ अनुपम है वह असीम है,
क्षमा दया श्रृद्धा का सागर |
कभी नहीं रीती होपाती,
माँ की ममता रूपी गागर ||

माँ मानव की प्रथम गुरू है,
सभी सृजन का मूल-तंत्र माँ |
विस्मृत ब्रह्मा की स्फुरणा,
वाणी रूपी मूल-मन्त्र माँ ||

सीमित तुच्छ बुद्धि यह कैसे,
 कर पाए माँ का गुण गान |
'श्याम' करें पद-वंदन माँ ही ,
करती वाणी-बुद्धि  प्रदान ||

4 टिप्‍पणियां:

  1. माँ अनुपम है वह असीम है,
    क्षमा दया श्रृद्धा का सागर |
    कभी नहीं रीती होपाती,
    माँ की ममता रूपी गागर ||

    बहुत खूब
    MY RECENT POST ,...काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं

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